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सोना (Gold) और बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) में क्या है संबंध, जानिए इसकी हर बारीकी

सोने की चाल के लिए बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी अच्छी नहीं होती है. दरअसल, बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी होने पर निवेशक सोने के बजाए निवेश के फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट (Fixed Instrument) की ओर चले जाते हैं.

Updated on: 07 Jan 2020, 12:37 PM

नई दिल्ली:

सोना (Gold) और बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) में वैसे तो सीधा संबंध नहीं होता है लेकिन फिर भी वे एक दूसरे के ऊपर अपना प्रभाव डालते हैं. सोने की चाल के लिए बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी अच्छी नहीं होती है. दरअसल, बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी होने पर निवेशक सोने के बजाए निवेश के फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट (Fixed Instrument) की ओर चले जाते हैं. बता दें कि फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट में निवेश से निवेशकों को एक निश्चित ब्याज की कमाई होती है. इसीलिए बॉन्ड यील्ड बढ़ने का फायदा उठाने के लिए निवेशक यह कदम उठाते हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बॉन्ड यील्ड और सोने में एक तरह से विपरीत लेकिन संबंध तो जरूर होता है.

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मौजूदा समय में मार्केट में निवेश के कई विकल्प मौजूद
मौजूदा समय में निवेशकों के पास पैसे को बढ़ाने के लिए मार्केट में कई विकल्प हैं. निवेशक बॉन्ड, बैंक जमा, करेंसी और सोने-चांदी आदि में निवेश कर सकते हैं. बता दें कि सोने और चांदी में निवेश करने पर किसी भी तरह का कोई ब्याज नहीं मिलता है. इसके अलावा हाजिर सोना-चांदी लेने पर स्टोरेड का भी अलग खर्च है. गोल्ड ETF के लिए कुछ चार्ज भी देना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर सेविंग अकाउंट या कम जोखिम वाले बॉन्ड में ब्याज के तौर पर कमाई होती है. ब्याज दरें बढ़ने पर बचत खाता और बॉन्ड पर ज्यादा ब्याज मिलता है. इस स्थिति में सोने में निवेश घट जाता है.

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अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव का असर
अमेरिकी डॉलर में मजबूती की वजह से सोने की कीमतों में कमजोरी देखने को मिलती है. वहीं दूसरी ओर अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ने पर भी सोने की मांग कम हो जाती है. वहीं अर्थव्यवस्था के पटरी से उतरने पर निवेशकों का रुझान सोने की ओर बढ़ जाता है. दुनियाभर में अगर इकोनॉमी में नकारात्मकता आती है तो सोने की कीमतों में इजाफा देखने को मिलता है.

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जानकारों के मुताबिक बॉन्ड यील्ड में तेजी से गिरावट आने पर मंदी के संकेत मिलते हैं. मंदी के समय में ब्याज दरों में कटौती सबसे ज्यादा होती है. अर्थव्यवस्था में मंदी होने की स्थिति में ब्याज दरें लगातार नीचे रहती हैं. महंगाई घटने पर बॉन्ड यील्ड में गिरावट दर्ज की जाती है. चूंकि मांग में इजाफा करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जाती है जिसकी वजह से सोने में तेजी आती है. ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि बॉन्ड यील्ड घटने पर निवेशक ज्यादा कमाई के लिए शेयर बाजार की ओर रुख करते हैं. हालांकि यील्ड में ज्यादा गिरावट आने पर खतरा बढ़ जाता है क्योंकि उस स्थिति में चारों तरफ मंदी देखने को मिलती है. इस स्थिति में सोने में निवेश करने वालों की चांदी हो जाती है.