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सेविंग अकाउंट Photograph: (social media )
बैंक के सेविंग अकाउंट का इस्तेमाल बरसों से हम कैश निकालने और कैश जमा कराने के लिए करते आ रहे हैं. इसी अकाउंट में हम अपनी सैलेरी भी जमा करवाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस अकाउंट से अगर आप बार-बार बड़ी रकम निकालते या जमा करते हैं, तो आप इनकम टैक्स विभाग के राडार पर भी आ सकते हैं. अगर आयकर विभाग को कहीं कुछ गड़बड़ होने की आशंका हुई, तो आपको इनकम टैक्स का नोटिस भी मिल सकता है.
दरअसल सेविंग बैंक अकाउंट होल्डर अपने बैंक से कितना कैश निकाल सकता है, इसके लिए भी नियम होते हैं. उदाहरण के लिए ICICI Bank की होम ब्रांच से कितनी नकद धनराशि का लेन-देन कर सकते हैं, इस संबंध में नियम इस तरह हैं –
- हर महीने पहले 3 नकद डिपोजिट या विदड्रॉल या 1 लाख रूपए तक के लेन-देन पर कोई शुल्क नहीं होता.
- यदि महीने में 3 से ज्यादा बार नकद डिपोजिट या विदड्रॉल किया जाता है, तो प्रत्येक ट्रांजेक्शन पर 150 रूपए का शुल्क लगता है.
- यदि महीने में 1 लाख रूपए से ज्यादा रकम का लेन-देन किया जाता है, तो प्रत्येक 1000 रूपए पर 5 रूपए या न्यूनतम 150 रूपए, जो भी ज्यादा हो, उस धनराशि को शुल्क के रूप में वसूला जाता है.
सभी बैंक बड़ी-बड़ी रकमों के विदड्रॉल और डिपोजिट की जानकारी आयकर विभाग को समय-समय पर देते रहते हैं. यदि कोई व्यक्ति किसी फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख रूपए या उससे ज्यादा धनराशि कैश अपने सेविंग अकाउंट या बचत खाता में जमा करता है, तो उसका बैंक इसकी सूचना आयकर विभाग को दे देता है. इसके बाद आयकर विभाग उस व्यक्ति की आय और व्यय की जांच कर सकता है. यदि इसमें कोई खामी पाई जाती है, तो आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है. नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने पर आयकर विभाग पेनाल्टी भी लगा सकता है.