शुक्रवार को नोटबंदी के 50 दिन पूरे हो जायेंगे। इससे एक दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूरे देश का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा, 'हमलोग भारत की जनता का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने केंद्र सरकार की इस नयी पहल को अपना समर्थन दिया है।
जेटली ने कहा, पुनर्मुद्रीकरण प्रक्रिया काफ़ी हद तक आगे बढ़ चुका है। सबसे अच्छी बात ये रही कि केंद्र सरकार की इस आर्थिक सुधार की पहल की वजह से देश के किसी भी हिस्से में अशांति नहीं फैली।
केंद्र सरकार ने नोटबंदी की जगह अब एक नए शब्द का प्रयोग शुरू किया है, पुनर्मुद्रीकरण। सवाल उठता है ऐसा क्यों? क्या सरकार जिस तरह के आर्थिक भूचाल की उम्मीद कर रही थी उसको झटका लगा है।
तो क्या ये माना जाए की सरकार ने नोटबंदी को लोगों के लिए जिस तरह का राम बाण बताते हुए इसकी मार्केटिंग की थी उसका असर कम होने की वजह से इसकी रिपैकेजिंग कर रही है।
नोटबंदी के डेढ़ महीने बाद भी लोग पैसे के लिए घंटो लाइन में खड़े है, क्योंकि पैसा निकलने की सीमित राशि अब तक नहीं बढाई गयी। कई बैंक में तय सीमा के हिसाब से अब भी पैसे नहीं मिल रहे, जबकि ज़्यादातर एटीएम में अब भी पैसों का अकाल पड़ा है।
हालांकि इस पर केंद्रीय मंत्री का कहना है, 'RBI के पास पर्याप्त मात्रा में नोट मौजूद है। समय समय पर बाज़ार की तरलता बरकरार रखने के लिए या यूं कहे बाज़ार की ज़रुरत के हिसाब से पैसे मिलते रहे हैं। वो आगे भी ऐसा करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद से काफी बड़ी मात्रा में पुराने नोट बाज़ार से हटाये जा चुके हैं और उसकी जगह नए नोट बाज़ार में उतर चुके हैं। ये प्रक्रिया आगे भी ऐसे ही जारी रहेगी। जबकि बाज़ार अब भी पैसों की कमी झेल रहा है। कई छोटे व्यापारी पैसों की कमी की वजह से अपना रोजगार खोने के कगार पर है।
केंद्र सरकार जिस तरह से नोटबंदी के फायदे की बात गिना रही थी, अगर छापेमारी में पैसे मिलने की बात छोड़ दें तो उस तरह का असर धरातल पर दिखा नहीं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा, 'नोटबंदी का असर दिखना शुरू हो चुका है। काला धन बैंक में वापस आ रह हैं। इसका मतलब है कि सरकार की नज़रों से छुपे पैसे एक बार फिर उनकी निगरानी में होगा और सरकार को उन सभी पैसो पर टैक्स मिलेगा। टैक्स से देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी और काला धन ख़त्म हो जायेगा।'
लेकिन क्या वाकई में ऐसा हुआ है आंकड़ें तो कुछ और ही बताते हैं।
Source : News Nation Bureau