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COVID-19 नुकसान भरपाई के लिए भारत को अधिक तेज वृद्धि दर्ज करनी होगी

आईएमएफ की उप-मुख्य अर्थशास्त्री पेट्या कोवा ब्रुक्स ने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अतिरिक्त आर्थिक प्रोत्साहन की भी वकालत की.

Updated on: 11 Apr 2021, 08:08 AM

highlights

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने यह राय जताई है
  • भारत को अधिक तेज आर्थिक वृद्धि करनी होगी
  • ऐसे बचेगी अर्थव्यवस्था दीर्घावधि के नुकसान से

वॉशिंगटन:

COVID-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में आने वाले गिरावट की ‘भरपाई’ के लिए भारत को अधिक तेज आर्थिक वृद्धि दर्ज करनी होगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने यह राय जताई है. चालू वर्ष में भारत की वृद्धि दर प्रभावशाली 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. आईएमएफस की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की बड़ी गिरावट से उबरने के लिए भारत को कहीं अधिक तेज वृद्धि दर्ज करने की जरूरत होगी. आईएमएफ की उप-मुख्य अर्थशास्त्री पेट्या कोवा ब्रुक्स ने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अतिरिक्त आर्थिक प्रोत्साहन की भी वकालत की. उन्होंने कहा, 'जब भारत की बात आती है, तो पिछले वित्त वर्ष में उत्पादन में बड़ी गिरावट आई थी. जैसा आप बता रहे हैं कि यह गिरावट आठ प्रतिशत है.'

लॉकडाउन सुधार के रास्ते में जोखिम
ब्रुक्स ने कहा, 'हम इस वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 12.5 की अनुमानित वृद्धि के अनुमान को देखकर बहुत खुश हैं और हम क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) सहित उच्च आवृत्ति संकेतक भी देख रहे हैं. इनसे पता चलता है कि इस साल की पहली तिमाही में सतत सुधार जारी है.' ब्रुक्स ने कहा, 'महामारी के नए प्रकार के बीच स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन से सुधार के रास्ते में कुछ जोखिम है.' उन्होंने कहा, 'जहां तक पुनरोद्धार की बात है, तो हम यह तुलना करते हैं कि यदि संकट नहीं होता, तो 2024 में उत्पादन का स्तर क्या रहता. फिर हम मौजूदा वृद्धि के रुख को देखते हैं, तो यह अंतर काफी बड़ा नजर आता है.'

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8 प्रतिशत का अंतर 
उन्होंने कहा कि आठ प्रतिशत का यह अंतर पूरी दुनिया की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कहीं बड़ा है. ब्रुक्स ने कहा कि पूरी दुनिया के लिए यह अंतर करीब तीन प्रतिशत है. आईएमएफ की अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार ने कोविड-19 संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं. सरकर ने नीतिगत मोर्चे पर पहल की है. राजकोषीय समर्थन दिया, मौद्रिक रुख को नरम किया है, तरलता के लिए कदम उठाए हैं और नियामकीय उपाय भी किए हैं.'

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जरूरत समन्वित नीतिगत प्रक्रिया
उन्होंने कहा कि जरूरत समन्वित नीतिगत प्रक्रिया की है. इसी के जरिये अर्थव्यवस्था को दीर्घावधि के नुकसान से बचाया जा सकता है. ब्रुक्स ने कहा कि छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों तथा कमजोर परिवारों को मदद उपलब्ध कराना सबसे महत्वपूर्ण ह्रै. उन्होंने कहा कि आईएमएफ भारत द्वारा बजट में की गई घोषणाओं का स्वागत करता है. बजट में स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर खर्च पर जोर दिया गया है, जो अच्छा है.