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देश के कई टीयर 2 और 3 शहर वैश्विक क्षमता केंद्र स्थापित करने के हॉटस्पॉट बने:कैरियर

देश के कई टीयर 2 और 3 शहर वैश्विक क्षमता केंद्र स्थापित करने के हॉटस्पॉट बने:कैरियर

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल परिवर्तन की लहर के बीच, भारत कई संगठनों के लिये वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) स्थापित करने के लिये एक आकर्षक देश बन गया है। डिजिटल प्रतिभा की उपलब्धता, स्टार्टअप की परिपक्वता, जीसीसी पारिस्थितिकी तंत्र और अनुकूल नीतियों जैसे कारकों ने देश में जीसीसी के विकास को संभव बनाया है।

नासकॉम की नयी रिपोर्ट जीसीसी इंडिया लैंडस्केप: 2021 एंड बियॉन्ड के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में 140 से अधिक जीसीसी ने भारत में अपना आधार स्थापित किया है जिससे इनकी कुल संख्या बढ़कर 1,430 से अधिक हो गयी हैं और बेंगलुरू इस मामले में नेतृत्व कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इंजीनियरिंग और अनुसंधान एवं विकास (ईआर एंड डी) 55 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत में जीसीसी की अगुवाई कर रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकियां स्थानीय ग्राहक की जरूरतों को पूरा करने और इंजीनियरिंग क्षमताओं को विकसित करने के लिये ईआर एंड डी जीसीसी हेतु राजस्व के नये स्रोत बनाती हैं।

आईएएनएस ने होम अप्लायंस क्षेत्र की अग्रणी कंपनी कैरियर में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन प्रमुख कमल शर्मा से बात की है कि कैसे न सिर्फ पारंपरिक टेक हब बल्कि टियर 2 और टियर 3 के शहर भी अब जीसीसी स्थापित करने के लिये हॉटस्पॉट बन गये हैं, क्योंकि विभिन्न राज्य सरकारें सिंगल विंडो क्लीयरेंस, भूमि आवंटन में आसानी, स्टाम्प शुल्क छूट, और पूंजीगत व्यय/ब्याज सब्सिडी जैसे प्रोत्साहन दे रही हैं।

पेश है उनसे बातचीत के अंश,

प्रश्न: प्रौद्योगिकी जब हर उद्योग के कारोबार को बाधित करने वाली है तब ऐसे में आप अगले 2-3 वर्षों में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) की भूमिका को कैसे देखते हैं और विकास को गति देने वाले प्रमुख कारक क्या होंगे?

उत्तर: जीसीसी जिन मूल्यों को सामने लाया ह,ै वे स्पष्ट है, क्योंकि हम उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला से संबद्ध वैश्विक संगठनों द्वारा दुनिया भर में खोले जा रहे नये क्षमता केंद्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देख रहे हैं। मुझे विश्वास है कि जीसीसी समस्याओं के समाधान के लिये डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में उत्कृष्टता के केंद्रों के रूप में विकसित होने की सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जीसीसी की स्थापना क्यों की जा रही है, किस क्षमता को परिपक्व किया जायेगा और किस प्रकार एक मजबूत ऑपरेटिंग मॉडल स्थापित किया जाये, इस बारे में सही सवाल पूछने की आवश्यकता है।

जीसीसी क्षेत्र में सफल होने के लिये क्षमता पर विशेष ध्यान देना चाहिये। यह वास्तव में संगठन के केंद्र में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देता है, एक सहज कर्मचारी अनुभव का सृजन करके प्रतिभा युद्ध जीतता है और सही संस्कृति बनाता है, जो विविध और समावेशी है और आपके कर्मचारियों को सफलता और संतुष्टि के लिये तैयार करता है।

प्रश्न: हमने देखा है कि कई संगठन वैश्विक क्षमता केंद्र के लिये भारत को एक पसंदीदा रणनीतिक स्थान के रूप में चुनते हैं, जिसमें कई अधिक शहरों में उपस्थिति का विकल्प चुनते हैं। भारत को जीसीसी के लिये एक आकर्षक स्थान क्या बनाता है?

उत्तर: दुनिया भर के 50 फीसदी जीसीसी वर्तमान में भारत में स्थित हैं। हम पहले से ही एक पुराना लोकेशन हैं, जो क्षमता केंद्र की योजना बनाने वाले किसी भी संगठन को कई गुना लाभ प्रदान करता है। हमारा लाभ अब केवल लागत तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह टैलेंट पूल की गुणवत्ता, कौशल विकास, आसानी से उपलब्ध बुनियादी ढाँचे, सरकारी सहायता और स्टार्टअप्स तथा अकादमी के लगातार बढ़ते नवाचारी पारिस्थितिकी तंत्र जैसे रणनीतिक निर्णय निर्माता कारकों के इर्द-गिर्द घूमता है।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई के पारंपरिक टीयर 1 प्रौद्योगिकी केंद्रों के अलावा, भारत में कई आगामी जीसीसी हॉटस्पॉट हैं। पुणे, विशाखापत्तनम और कोयम्बटूर जैसे ये वैकल्पिक स्थान फैसिलिटी की कम लागत, कम प्रतिस्पर्धा और कुछ मामलों में टियर -1 शहरों की तुलना में 10-15 प्रतिशत कम एट्रिशन यानी कर्मचारियों के संस्थान छोड़ने की दर के कारण अधिक आकर्षक हैं। इससे बेहतर सेवा प्रदान की जा सकती है और कर्मचारियों को कम वेतन पर नौकरी दी जा सकती है।

टीयर 2 और 3 स्थानों के आकर्षण और व्यवहार्यता को बढ़ाने के लिये, विभिन्न राज्य सरकारों ने सिंगल विंडो मंजूरी, भूमि आवंटन में आसानी, स्टांप शुल्क छूट, और पूंजीगत व्यय / ब्याज सब्सिडी जैसे प्रोत्साहन की पेशकश देनी शुरू कर दी है।

प्रश्न: ऐसा लगता है कि कोरोना महामारी के बाद प्रतिभा के लिये युद्ध शुरू हो गया है। डिजिटल हब इंडिया (डीएचआई) सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं के लिये प्रतिस्पर्धा करने की योजना कैसे बना रहा है?

उत्तर: प्रतिभा के लिये युद्ध वास्तविक है, और हम देखते हैं कि प्रतिभा बाजार में व्यवस्था की कमी है और कोई भी संगठन इससे बिना प्रभावित हुये बाहर नहीं आ सका है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि संगठन एकमत हों और यह समझें कि प्रतिभा क्या चाहती है।

भविष्य में लचीलापन महत्वपूर्ण होगा, और अब जब हाइब्रिड / रिमोट वर्किं ग प्रयोग सफल साबित हुआ है, तो प्रतिभा बाजार पूछ रहा है कि हम अलग कार्य व्यवस्था पर विचार करें। डीएचआई भी इसके बारे में जानता है और पहले ही एक हाइब्रिड वर्किं ग मॉडल पेश कर चुका है, जो उत्कृष्ट परिणाम दे रहा है।

कर्मचारियों की भागीदारी जरूरी है। हमारे प्रयास हमारे कम्युनिकेशन और पहुंच में सुसंगत होने के लिये हैं, भले ही हमारे कर्मचारी कहीं भी स्थित हों। भले ही हम दूर से काम करते हैं, फिर भी हम लगातार फीडबैक, पहचान और सीखने और बढ़ने के अवसरों पर कार्यक्रम चलाते हैं। हम कर्मचारियों के साथ बातचीत से बचने के बहाने के रूप में भौतिक दूरी का उपयोग करने के बजाय नवोन्मेषी होने में विश्वास करते हैं।

कर्मचारियों के मन में कोहराम मच गया है। टीम को दृष्टिकोण के बारे में स्पष्टता प्रदान करना और उनके करियर की रूपरेखा कैसे विकसित होगी, यह जानकारी देना महत्वपूर्ण है। डिजिटल हब इंडिया का नेतृत्व रणनीतिक योजना, कंपनी की बैठकों और कर्मचारियों के साथ संपर्क स्थापित करने में समय का निवेश करता है ताकि उन्हें यह पता चल सके कि रणनीति कैसे लागू की जाती है और वे क्या भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न: एक क्षमता केंद्र के रूप में प्रौद्योगिकी कौशल और भविष्य के लिये तैयार रहना जरूरी है। डिजिटल हब इंडिया के लिये अपस्किलिंग यानी कौशल को बढ़ाने की प्राथमिकतायें क्या हैं?

उत्तर : हाल के वर्षों में, हमारे क्षमता केंद्र को भारत में सबसे अधिक सम्मानित जीसीसी के रूप में मान्यता दी गई है, और मैं उस सफलता का श्रेय एक प्रमुख कारक को देता हूं, और वह है-हमारे लोगों की क्षमता। डिजिटल हब इंडिया में हम इस विश्वास में ²ढ़ हैं कि लोग हमारी सबसे मूल्यवान संपत्ति हैं।

दीर्घकालिक विकास और सफलता प्राप्त करने के लिये, हमें प्रतिभा को पोषित करने और उसे विकसित करने के लिये हर संभव प्रयास करना चाहिये। प्रतिभा की जंग जीतने के लिये हमें न केवल वर्तमान पर बल्कि भविष्य पर भी ध्यान देना चाहिये।

हम अपने कार्यबल को मल्टी-मॉडल और समग्र अपस्किलिंग अवसर प्रदान करते हैं, जिसमें आईओटी, एनालिटिक्स, साइबर, क्लाउड (एडब्ल्यूएस), और व्यवहार और नेतृत्व प्रशिक्षण जैसे विशिष्ट कौशल में तकनीकी और कार्यात्मक प्रशिक्षण शामिल हैं।

प्रश्न: क्लाउड तकनीक ने आपको क्या बेहतर करने में सक्षम बनाया है। व्यावसायिक परिणामों के संदर्भ में, एडब्ल्यूएस पर चलने से आपको क्या लाभ हुए हैं?

उत्तर: एडब्ल्यूएस के साथ कैरियर की रणनीतिक साझेदारी हमारे डिजिटल परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि हम इमारतों को अधिक टिकाऊ, कुशल और आरामदायक बनाने के लिये और अधिक नवाचार और कनेक्टिविटी का प्रयास करते हैं।

हमारे पास इंडिया हब में कनेक्टेड सर्विसेज डोमेन में काम करने वाली एक बड़ी टीम है। क्लाउड हमारी गति और चपलता बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक कार्यक्रमों का समर्थन करने में हमारी सहायता कर रहा है। हमारा मानना है कि एनालिटिक्स, आईओटी, एआई/एमएल का उपयोग करके और उन्हें अपने उत्पादों से समझदारी से जोड़कर और कनेक्टेड उत्पाद और सेवायें बनाकर, हम विकास के नये अवसरों का दोहन कर सकते हैं और बेहतर ग्राहक अनुभव प्रदान कर सकते हैं।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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