छत्तीसगढ़ की पहचान धान उत्पादक राज्य के तौर पर है मगर यहां के किसानों में चने की खेती की तरफ भी रुझान बढ़ रहा है। यह कारण है कि महज एक साल में चने की खेती का रकबा 52 हजार हेक्टेयर (लगभग एक लाख 30 हजार एकड़) बढ़ा है।
छत्तीसगढ़ में रबी वर्ष 2017-18 में चने की खेती तीन लाख 35 हजार हेक्टेयर में होती थी, जिसमें साल दर साल औसत रूप से 10 हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई और बीते रबी सीजन वर्ष 2020-21 में इसकी खेती का रकबा 3 लाख 36 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया। इस साल राज्य में किसानों ने चने की खेती में अच्छी खासी रूचि दिखाई है, जिसके चलते इसके रकबे में एकाएक 52 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।
राज्य में रबी सीजन 2021-22 में चने के रकबे में 52 हजार हेक्टेयर (लगभग एक लाख 30 हजार एकड़) से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। एक साल में चने का रकबा तीन लाख 63 हजार हेक्टेयर से बढ़कर चार लाख 15 हजार हेक्टेयर हो गया है। चने की खेती में चालू रबी सीजन में आया यह उछाल, बीते तीन सालों की औसत वृद्धि से पांच गुने से भी अधिक है।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे चने के रकबे में हुई बढ़ात्तरी की वजह बताते हुए कहते है कि छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीति के चलते कृषि के क्षेत्र में तेजी से बदलाव आया है। किसानों में खुशहाली बढ़ी है। यही वजह है कि किसान अब दलहन, तिलहन, फल-फूल और सब्जी की खेती को तेजी से अपनाने लगे हैं।
मंत्री चौबे का मानना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की किसान न्याय योजना से समय-समय पर मिल रही इनपुट सब्सिडी की राशि ने किसानों को कृषि के क्षेत्र में नवाचार करने एवं फसल विविधिकरण को अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
छत्तीसगढ़ राज्य में इस साल चने की खेती में सर्वाधिक 28 हजार हेक्टेयर की वृद्धि दुर्ग संभाग के जिलों में हुई है। राज्य के बिलासपुर संभाग में भी चने की रकबे में इस साल लगभग चार हजार हेक्टेयर, सरगुजा संभाग के जिलों में 1800 हेक्टेयर तथा बस्तर अंचल के जिलों में चने के रकबे में 1700 हेक्टेयर से अधिक की वृद्धि हुई है। चालू रबी सीजन में चार लाख 15 हजार 650 हेक्टेयर में चने की बुआई पूर्णता की ओर है।
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Source : IANS