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यूनिटेक पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दिसंबर तक जमा कराए 750 करोड़ रुपये

यूनिटेक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को 750 करोड़ रुपये अदालत की रजिस्ट्री में दिसंबर अंत तक जमा कराने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीददारों के हितों को देखते हुए यह निर्देश जारी किए हैं।

Updated on: 30 Oct 2017, 10:57 PM

नई दिल्ली:

यूनिटेक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को 750 करोड़ रुपये अदालत की रजिस्ट्री में दिसंबर अंत तक जमा कराने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीददारों के हितों को देखते हुए यह निर्देश जारी किए हैं।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों को भी जेल में बंद कंपनी के प्रमोटर संजय चंद्रा को प्रॉपर्टी की बिक्री संबंधी लेनदेन प्रक्रिया के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा मुहैया कराने के लिए कहा है।

सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा चंद्रा के वकील पैसे जमा होने के बाद जमानत संबंधित बात रख सकते है।

साथ ही शीर्ष अदालत ने जेल अधिकारियों को निर्देश भी दिया कि वो संजय चंद्रा की कंपनी के अधिकारियों और वकीलों के साथ घर खरीदारों के पैसे वापसी के लिए और अपनी चालू आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पैसे की व्यवस्था करने संबंधी बातचीत करने के लिए सुविधा मुहैया कराए।

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जस्टिस एएम खानविलकर और डी वी चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा 'पार्टियों के लम्बे समय तक सुने गए वकीलों की दलील के बाद, यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ताओं को इस शर्त के अधीन जमानत में शामिल किया जाएगा कि वो अदालत की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा कराएं, जिसे ब्याज के संबंध में फिक्स अर्निंग डिपॉज़िट के तौर पर रखा जाएगा।' 

अदालत ने कहा, 'जमा दिसंबर 2017 के अंत तक किया जाएगा।' अदालत ने कहा, 'जहां तक जेल दौरे की बात है तो, जेल अधिकारी याचिकाकर्ताओं की उनके अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ तय अंतराल में बैठक की सुविधाएं मुहैया कराएं।'

कोर्ट ने कहा की जेल दौरे सामान्य तौर पर नियमों के अनुसार होना चाहिए और चंद्रा के वकील भी वहां मिलने जा सकते हैं। अदालत ने निर्देश जारी करते हुए कहा, 'जेल अधिकारियों ने एक ऐसी जगह की व्यवस्था भी करनी होगी जहां याचिकाकर्ता बात कर सके।'

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साथ ही कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा मुहैया कराने के भी आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ताओं के लिए विजिटिंग ऑवर्स में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराए। ताकि वो बातचीत करने की स्थिति में हो सके।'

हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया कि चंद्रा केवल निर्विवाद संपत्तियों के संबंध में बातचीत करने के लिए हकदार हैं या फिर अपने समूह की संपत्ति के बारे में।

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