ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 तथ्यों से परे : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 तथ्यों से परे : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
नई दिल्ली:
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने चौंकाने वाला बताया है। मंत्रालय अनुसार ये रिपोर्ट जमीनी हकीकत और तथ्यों से परे है।गौरतलब है कि 14 अक्टूबर को कंसर्न वल्र्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ एजेंसियों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत के हालात बेहद खराब हैं। भारत 116 देशों की लिस्ट में 101वें नंबर पर है। इसे लेकर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 20201 ने कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ अनुमान के आधार पर भारत के रैंक को नीचे कर दिया है। ग्लोबल हंगर रिपोर्ट, कंसर्न वल्र्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ की प्रकाशन एजेंसियों ने रिपोर्ट जारी करने से पहले अपना होम वर्क नहीं किया है।
मंत्रालय ने कहा एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली अवैज्ञानिक है। उन्होंने अपना मूल्यांकन चार प्रश्न जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित किया है, जो गैलप द्वारा टेलीफोन पर आयोजित किया गया था। ये प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की उपलब्धता जैसे अल्पपोषण को मापने के लिए कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है। अल्पपोषण के वैज्ञानिक माप के लिए वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होगी, जबकि यहां शामिल कार्यप्रणाली जनसंख्या के शुद्ध टेलीफोनिक अनुमान पर आधारित गैलप सर्वेक्षण पर आधारित है।
मंत्रालय के अनुसार रिपोर्ट पूरी तरह से कोविड अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयास की अवहेलना करती है, जिस पर सत्यापन योग्य डेटा उपलब्ध है। जनमत सर्वेक्षण में एक भी सवाल नहीं है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और आत्म निर्भर भारत योजना (एएनबीएस) जैसी अतिरिक्त राष्ट्रव्यापी योजनाओं को लागू किया है। रिपोर्ट में इसका जिक्र तक नहीं है।
एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली अवैज्ञानिक है। उन्होंने अपना मूल्यांकन चार प्रश्न जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित किया है, जो गैलप द्वारा टेलीफोन पर आयोजित किया गया था। अल्पपोषण के वैज्ञानिक माप के लिए वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होगी, जबकि यहां शामिल कार्यप्रणाली जनसंख्या के शुद्ध टेलीफोनिक अनुमान पर आधारित गैलप सर्वेक्षण पर आधारित है। रिपोर्ट पूरी तरह से कोविड अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयास की अवहेलना करती है, जिस पर सत्यापन योग्य डेटा उपलब्ध है। जनमत सर्वेक्षण में एक भी सवाल नहीं है कि क्या प्रतिवादी को सरकार या अन्य स्रोतों से कोई खाद्य सहायता मिली। इस जनमत सर्वेक्षण की प्रतिनिधित्वशीलता भी भारत और अन्य देशों के लिए संदिग्ध है।
एफएओ की रिपोर्ट द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वल्र्ड 2021 से यह आश्चर्य के साथ उल्लेख किया गया है कि इस क्षेत्र के अन्य चार देश - अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका, कोविड से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए हैं।
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 और द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वल्र्ड 2021 पर एफएओ रिपोर्ट ने सार्वजनिक डोमेन में तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। मीसाल के तौर पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवारों) के तहत कवर किए गए 36 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 80 करोड़ (800 मिलियन) लाभार्थियों के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम की दर से खाद्यान्न का आवंटन मुफ्त किया है। ) इसका जिक्र तक नहीं है।
इसी तरह कोविड -19 को आर्थिक प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में, भारत सरकार ने प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और आत्म निर्भर भारत योजना (एएनबीएस) जैसी अतिरिक्त राष्ट्रव्यापी योजनाओं को लागू किया है।
खाद्यान्न के अलावा, एनएफएसए के तहत 19.4 करोड़ (194 मिलियन) परिवारों को कवर करने वाले सभी लाभार्थियों को अप्रैल से नवंबर 2020 की अवधि के लिए प्रति माह 1 किलो प्रति परिवार दाल मुफ्त प्रदान की गई है।
एएनबीएस के तहत, सरकार ने लगभग 8 लाख (800 हजार) मीट्रिक टन अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न का आवंटन सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को उन प्रवासियों / फंसे हुए प्रवासियों के लिए किया, जो न तो एनएफएसए और न ही राज्य योजना पीडीएस कार्ड के तहत कवर किए गए थे, 5 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह दो महीने, मई और जून 2020 की अवधि के लिए मुफ्त। खाद्यान्न के अलावा, इस अवधि के लिए लगभग 0.27 लाख (27 हजार) मीट्रिक टन साबुत चना एएनबीएस के तहत आवंटित किया गया था।
100 से कम श्रमिकों वाले संगठित क्षेत्र के व्यवसायों में प्रति माह 15 हजार रुपये से कम वेतन पाने वालों के रोजगार में व्यवधान को रोकने के लिए, सरकार ने उनके मासिक वेतन का 24 प्रतिशत तीन महीने, अप्रैल से जून 2020 के लिए उनके पीएफ खातों में भुगतान किया।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य