कौशल विकास मंत्रालय का मानना है कि कंपनियों को न केवल नए कौशल पर ध्यान देना चाहिए बल्कि अप-स्किलिंग, री-स्किलिंग और मल्टी-स्किलिंग पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि वे आज की नौकरियों की तेजी से बदलती प्रकृति को आसानी से अपना सकें। मंत्रालय का यह भी मानना है कि प्रशिक्षुता (अप्रेंटिस) कौशल विकास के सबसे अधिक टिकाऊ मॉडलों में से एक होने के नाते इसे विस्तृत रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हुनर को या तो प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए या सभी कंपनियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कार्यबल के बीच इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए।
स्किल इंडिया ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के साथ साझेदारी में, हाल ही में देश के 700 स्थानों पर एक दिवसीय प्रधान मंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला का आयोजन किया था। यह आयोजन सफल रहा। बिजली, खुदरा, दूरसंचार, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव सहित 30 से अधिक क्षेत्रों से 1,51,497 छात्रों और 8968 प्रतिष्ठानों ने भाग लिया। इस उद्योग-युवा कनेक्ट प्लेटफॉर्म पर एक ही दिन में 29,000 से अधिक प्रशिक्षुओं को काम पर रखा गया।
कौशल विकास मंत्रालय ने अगले एक साल में 10 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को शामिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही मंत्रालय ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के साथ एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया। सीपीएसई को मंत्रालय द्वारा किए गए नवीनतम सुधारों और पहलों की जानकारी दी गई और कुछ और प्रशिक्षुओं को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
इस कार्यशाला में 100 से अधिक सीपीएसई के सीएमडी, मानव संसाधन प्रबंधक और सीएसआर प्रमुखों ने भाग लिया, जिन्होंने प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण पर अपने काम को साझा किया और देश में प्रशिक्षुता मॉडल को सफल बनाने के अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की।
केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सीपीएसई का आह्वान किया कि वे अपने स्थानीय क्षेत्रों के औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्रों, जन शिक्षण संस्थानों (जेएसएस) को अपनाए। अधिक प्रशिक्षुओं को शामिल करें और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए अभिनव तरीके तलाशें। शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम एनईपी 2020 की सिफारिशों को लागू कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, हमें अधिक जीवंत और बहुमुखी कार्यबल बनाने के लिए शिक्षा और कौशल का मजबूत एकीकरण करना चाहिए।
प्रधान ने कहा कि काम की प्रकृति बदल रही है। हमें ऊर्जा, स्थिरता, डेटा प्रबंधन जैसे विषयों के बारे में ज्ञान का परिचय देना चाहिए। मैं सार्वजनिक उपक्रमों से भी एक गतिशील, प्रगतिशील और आधुनिक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने के लिए अपने सुझावों और विचारों को सामने रखने का आह्वान करता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि कोविड के बाद युवाओं को नए अवसरों के अनुकूल बनाने में स्किलिंग और रीस्किलिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग को नौकरी की भूमिका को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
यह भी सुझाव दिया गया कि सीपीएसई की सहायता और उसका नवोन्मेषी सहयोग में शामिल होना उद्योग के लिए तैयार प्रशिक्षित जनशक्ति के निर्बाध प्रवाह को सक्षम करेगा। धीरे-धीरे पीएसयू में प्रमाणित कुशल श्रमिकों को काम पर रखने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
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Source : IANS