भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने महंगाई पर काबू पाने के लिए रेपो दर में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की घोषणा की है। देश में खुदरा महंगाई दर लगातार चौथे माह आरबीआई की निर्धारित सीमा छह प्रतिशत (टॉलरेंस लेवल) से ऊपर रही है।
आरबीआई ने साथ ही खुदरा महंगाई दर के अनुमान में संशोधन किया है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास अनुमान को भी जारी किया है। आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों के दौरान खुदरा महंगाई दर के छह प्रतिशत से उपर बने रहने का अनुमान है और चौथी तिमाही में इसमें गिरावट आ सकती है।
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि उसने अपने अनुमान में मौद्रिक नीति समिति द्वारा रेपो दर में किये गये बदलाव के प्रभाव के आंकलन को जोड़ा नहीं है।
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में खुदरा महंगाई के अनुमान में करीब 75 प्रतिशत योगदान खाद्य पदार्थों के समूह का रहेगा। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति दर के चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए खुदरा महंगाई दर के 7.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 6.2 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही के लिए 5.8 प्रतिशत का अनुमान जताया गया है।
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। केंद्रीय बैंक ने पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर के 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक के फैसलों को लेकर विशेषज्ञों की राय जुदा-जुदा है। हालांकि, लगभग सभी विशेषज्ञों ने एक सुर में यह स्वीकार किया है कि रेपो दर में की गई बढ़ोतरी, उनके अनमुान के मुताबिक है।
विशेषज्ञों के मुताबिक शेयर बाजार पर रेपो दर में की गई बढ़ोतरी का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि निवेशक पहले से ही इस फैसले की उम्मीद कर रहे थे। दरअसल केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कुछ दिनों पहले दिये गये अपने एक साक्षात्कार में यह कहा था कि जून की बैठक में नीतिगत दर बढ़ायें जाएंगे लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि यह बढ़ोतरी कितनी होगी।
शेयर इंडिया के उपाध्यक्ष एवं शोध प्रमुख रवि सिंह ने कहा कि बैठक के फैसले उम्मीद के मुताबिक ही रहे हैं। आरबीआई द्वारा रेपो दर में बढ़ोतरी किये जाने की बात को शेयर बाजार पहले ही स्वीकार कर चुका था। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पूरी दुनिया में महंगाई निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ी है और इससे आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है। वैसे, कच्चे माल और ईंधन की कीमतों में उछाल के कारण पहले से ही मुसीबतों का सामना कर रहे उद्योग जगत को अब दरों में बढ़ोतरी के बोझ का भी वहन करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी नीतिगत दरों में बढ़ोतरी कर रहा है इसीलिए इस बात की पूरी संभावना है कि इसका असर सिर्फ शेयर बाजार तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि डेट और बांड बाजार में भी बिकवाली जल्द ही देखने को मिलेगी। यही राय आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के मुख्य अर्थशास्त्री एवं कार्यकारी निदेशक सुजन हाजरा की भी रही।
प्रोफिशिएंट एक्वि टीज के संस्थापक एवं निदेशक मनोज डालमिया ने कहा कि रेपो दर बढ़ाने से बैंकों के लिए ऋण देने की लागत बढ़ जाएगी। इससे खुदरा ऋण पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा।
हेडोनोवा के सीआईओ सुमन बनर्जी ने कहा कि रेपो दर में बढ़ोतरी से शेयर बाजार में बैंकों के शेयर चमक गये हैं लेकिन यह अवस्था पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत लाभदायक नहीं है। रेपो दर में बढ़ोतरी से बाजार में तरलता कम होती है और इससे महंगाई पर लगाम लगाया जाता है। आरबीआई का कहना है कि अगले एक साल में महंगाई दर में एक फीसदी की तेजी आ सकती है तो ऐसे में आज की गई रेपो दर में बढ़ोतरी बेकार है।
मार्केट्स मोजो के संस्थापक एवं सीईओ मोहित बत्रा ने कहा कि आरबीआई का रेपो दर बढ़ाने का निर्णय उम्मीद के अनुरूप है लेकिन हमें आश्चर्य इस बात है कि केंद्रीय बैंक अब भी यह मानता है कि जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहेगी, जो हमारी नजर में बहुत अधिक सकारात्मक आंकड़ा है।
मोहित बत्रा ने आने वाले समय में ब्याज दर में और बढ़ोतरी किये जाने का अनुमान व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि पहले के अनुमान में आरबीआई ने कच्चे तेल की कीमतों का 100 डॉलर प्रति बैरल का आंकलन किया था और इस बार महंगाई के पूर्वानुमान में कच्चे तेल की कीमतों का आंकलन 105 डॉलर प्रति बैरल किया है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में कच्चा तेल 120 डॉलर प्रति बैरल पर है तो इस बात की पूरी संभावना है कि अगली समीक्षा बैठक में मुद्रास्फीति दर के अनुमान में और बढ़ोतरी की जाएगी।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि आरबीआई के रेपो दर बढ़ाने के निर्णय से बाजार कोई झटका नहीं लगेगा। हालांकि, अच्छी बात यह है कि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। आर्थिक विकास दर भी 7.2 प्रतिशत पर स्थिर है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि आरबीआई ने जीडीपी विकास दर अनुमान को मजबूत रखा है, इसी वजह अगस्त में होने वाली अगली समीक्षा बैठक में भी 25 आधार अंक की बढ़ोतरी किये जाने की पूरी संभावना है।
निखिल गुप्ता ने कहा कि हालांकि, मौद्रिक नीति में इस तरह सख्ती करने से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही और अगले वित्त वर्ष विकास दर में अच्छी-खासी कमी आ सकती है।
सीबीआरई के अध्यक्ष एवं सीईओ अंशुमन मैगजीन ने कहा कि रेपो दर में बढ़ोतरी का फैसला अनुमान के मुताबिक रहा। इससे मध्य अवधि में महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
मिल्कवुड केन इंटनेशनल के संस्थापक एवं सीईओ निश भट्ट ने कहा कि रेपो दर में बढ़ोतरी अनुमान के मुताबिक रही है। उनके अनुसार, सहकारी बैंकों द्वारा ग्राहकों को व्यक्तिगत आवास ऋण देने की सीमा बढ़ाये जाने के रिजर्व बैंक के फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में तेजी आयेगी।
ओमनीसाइंस कैपिटल के सीईओ एवं मुख्य रणनीतिक निवेश अधिकारी विकास गुप्ता ने कहा कि आरबीआई ने यह स्पष्ट किया है कि यह महंगाई आपूर्ति पक्ष आधारित है और इस पर नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करके लगाम नहीं लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि महंगाई के अनुमान को काबू में लाने के लिए नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ रिजर्व बैंक का कहना है कि विकास को बढ़ावा देते हुए तरलता को कोविड पूर्व स्तर पर लाना है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने रूस-यूक्रेन युद्ध के जारी रहने और और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी पर चिंता जताई है। उन्होंने रेपो दर में बढ़ोतरी को अनुमान के मुताबिक बताया।
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Source : IANS