उच्चत्तम न्यायालय ने धन शोधन मामले में एयरसेल संस्थापक सी शिवशंकरन की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें अदालती कार्यवाही में राजनयिक संरक्षण दिए जाने का दावा किया गया था। लाइव लॉ ने यह जानकारी दी है।
उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीश ए एम खानविलकर , न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी और न्यायाधीश सी टी रविकुमार की खंडपीठ ने वर्ष 2019 में दायर शिवशंकरन की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें दावा किया गया है कि वह सेशेल्स गणराज्य के राजदूत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खंडपीठ ने इस तथ्य को भी ध्यान में लिया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने राजनयिक संरक्षण प्रदान किए जाने संबंधी उनकी इसी तरह की याचिका को 2019 में खारिज कर दिया था और उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दिए बगैर इसी तरह की याचिका उच्चत्तम न्यायालय में भी दायर की है।
इस दौरान खंडपीठ ने भारतीय विदेश मंत्रालय और सेशेल्स सरकार के बीच हुए उस संवाद पर भी ध्यान दिया जिसमें सेशेल्स सरकार की तरफ से कहा गया था कि हालांकि वह सेशेल्स के राजदूत है लेकिन भारत में उनकी मौजूदगी का कोई राजनयिक मकसद नहीं है।
श्री शिवशंकरन की तरफ से पेश हुए वकील महिंदर सिंह ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता सेशेल्स सरकार की तरफ से राजदूत के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं तथा उन्हें विएना संधि के तहत भारत में आपराधिक कार्यवाही से संरक्षण प्राप्त है।
केन्द्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सेशेल्स सरकार के उस आधिकारिक संवाद का हवाला दिया कि भारत में उनकी उपस्थिति आधिकारिक डयूटी के आधार पर नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने कहा कि उनके राजनयिक संरक्षण के दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। खंडपीठ ने इस दौरान मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के प्रति अपनी सहमति दर्शाई।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS