अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 2820 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाली पांच समाप्त हो चुकी पनबिजली परियोजनाओं को दो केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू) को सौंपने का फैसला किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के एक अधिकारी ने कहा कि इन पांच परियोजनाओं के लिए अगले 5-7 वर्षो में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी।
पांच परियोजनाओं में से, दो जलविद्युत परियोजनाएं - नयिंग (1,000 मेगावाट) और हिरोंग (500 मेगावाट) - नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (नीपको), एमिनी (500मेगावाट), अमुलिन (420मेगावाट) और मिनंडन (400मेगावाट) सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड को विकास के लिए सौंपी जाएगी।
मंगलवार को मुख्यमंत्री पेमा खांडू की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में संभावित अनलॉक करने के लिए रुकी हुई जलविद्युत परियोजनाओं को सीपीएसयू में स्थानांतरित करने की सांकेतिक प्रक्रिया को मंजूरी दे दी गई।
सीएमओ अधिकारी ने कहा कि ये परियोजनाएं प्रति वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये और स्थानीय क्षेत्र विकास (एलएडी) के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये का राजस्व प्रदान करेंगी।
आधिकारिक ब्यान में आगे कहा गया है कि, 12,343 मेगावॉट उत्पादन क्षमता वाली 13 प्राथमिकता वाली परियोजनाओं पर काम शुरू करने की कार्य योजना तैयार की गई है। इससे 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा और राज्य को 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व और एलएडी के लिए लगभग 350 करोड़ रुपये प्रति वर्ष मिलेगा।
इसमें कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश अपनी जलविद्युत के माध्यम से गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता में प्रमुख योगदान देगा।
ब्यान में आगे कहा गया है कि, जलविद्युत नवीकरणीय ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है और यदि इसका उपयोग किया जाता है तो बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश के साथ-साथ मुफ्त बिजली, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, रोजगार, अनुबंध और व्यापार के अवसर, सामाजिक क्षेत्र जैसे प्रावधानों के माध्यम से क्षेत्र का चौतरफा सामाजिक आर्थिक विकास होगा।
कैबिनेट ने अपनी बैठक में यह भी मंजूरी दी कि बिजली क्षेत्र से राज्य सरकार द्वारा उत्पन्न राजस्व को सरकारी बॉन्ड में निवेश किया जाएगा जिसका उपयोग अरुणाचल प्रदेश के विकास के लिए किया जाएगा।
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Source : IANS