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2022 में भारत की वृद्धि दर रहेगी कम, UN ने बताया यह बनेगा बड़ा कारण

रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस इस साल गहरी मंदी का सामना कर सकता है जबकि पश्चिमी यूरोप और मध्य, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ देशों की वृद्धि दर भी सुस्त पड़ सकती है.

Updated on: 25 Mar 2022, 07:03 AM

highlights

  • UN ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान 6.7 फीसद से घटाकर 4.6 किया
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था दर का अनुमान भी 3.6 प्रतिशत से घटाकर 2.6 फीसद
  • रूस की अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट की भी आशंका जताई है

संयुक्त राष्ट्र:

रूस (Russia)-यूक्रेन  युद्ध का दुनिया भर पर प्रभाव पड़ रहा है. भारत (India) भी इससे अछूता नहीं है. संभवतः आगे की चुनौतियों को देखते हुए अब संयुक्त राष्ट्र ने साल 2022 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 6.7 फीसद से घटाकर 4.6 कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की रिपोर्ट में कहा गया कि यूक्रेन(Ukraine)-रूस युद्ध की वजह से भारत को ईंधन की आपूर्ति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में ईंधन की कीमतों में तेज उछाल आ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक रूस पर व्यापार प्रतिबंधों, खाद्य मुद्रास्फीति, सख्त नीतियों और वित्तीय मोर्चे पर स्थिरता भी भारतीय अर्थव्यवस्था (Economy) को प्रभावित कर सकती हैं. 

वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी गिरावट
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) की रिपोर्ट में यूक्रेन संकट और वृहदआर्थिक नीतियों में बदलाव से 2022 के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरे से प्रभावित होने की बात कही गई है. रिपोर्ट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था दर के अनुमान को 3.6 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस इस साल गहरी मंदी का सामना कर सकता है जबकि पश्चिमी यूरोप और मध्य, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ देशों की वृद्धि दर भी सुस्त पड़ सकती है.

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बड़े देशों की ऐसी रहेगी स्थिति
रिपोर्ट में अमेरिका की वृद्धि दर के अनुमान को भी तीन प्रतिशत से घटाते हुए 2.4 प्रतिशत कर दिया गया है. चीन की वृद्धि दर के भी 5.7 फीसदी से घटकर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार रूस की अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है जबकि पहले इसके 2.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था. अंकटाड की रिपोर्ट में 2022 के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 4.6 प्रतिशत कर दिया गया है.

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भारत पर यह भी असर
रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत को ईंधन की आपूर्ति और उच्च कीमतों, माल की आपूर्ति में बाधा, व्यापार प्रतिबंधों, खाद्य मुद्रास्फीति, सख्त नीतियां और वित्तीय अस्थिरता की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा’ रिपोर्ट के मुताबिक मुद्रा बाजारों में ब्राजील, रूस, भारत और चीन की मुद्राएं 6,600 अरब डॉलर के दैनिक कारोबार का 3.5 प्रतिशत से अधिक नहीं हैं. यह अमेरिकी मुद्रा डॉलर के 44 प्रतिशत का बमुश्किल दसवां हिस्सा है.