अभी और गिरेगा रूपया, नोटबंदी के बाद साल 2017 में भी डालर के मुकाबले रूपये के कमज़ोर होने की आशंका

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में इस साल भारी गिरावट हो सकती है। ग्लोबल बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी और नोटबंदी की वजह से रुपये के और कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है।

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में इस साल भारी गिरावट हो सकती है। ग्लोबल बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी और नोटबंदी की वजह से रुपये के और कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है।

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pradeep tripathi
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अभी और गिरेगा रूपया, नोटबंदी के बाद साल 2017 में भी डालर के मुकाबले रूपये के कमज़ोर होने की आशंका

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में इस साल भारी गिरावट हो सकती है। ग्लोबल बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी और नोटबंदी की वजह से रुपये के और कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है।

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2016 के आखीर में पूंजी को बाज़ार से तेज़ी से निकाला जाने लगा है जिसका सबसे बड़ा कारण अमेरिका चुनाव में डोनल्ड ट्रंप की जीत और भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले को माना जा रहा है। देखा जाए तो पिछले साल एशियाई मुद्राओं की अपेक्षा रुपये ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

एक सर्वे के अनुसार एक महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 68.50 पर आने की संभावना है। 30 फॉरेन एक्सचेंज स्ट्रैटिजिस्ट्स के पोल में ये आशंका जताई गई है। ये भी आशंका है कि साल के अंत तक रुपया 69.50 प्रति डॉलर तक आ सकता है।

पिछले कई सालों में पहली बार ये अनुमान लगाया गया है कि रुपये इतना ज्यादा कमज़ोर होगा। तीन महीने पहले ही एक एजेंसी के सर्वे में कहा गया था कि रुपया एक साल में 67.73 प्रति डॉलर पर ट्रेड करेगा।

मुंबई स्थित एल्डविस फाइनैंशल सर्विसेज में फॉरेन एक्सचेंज रिसर्च के प्रमुख भूपेश बमेटा कका कहना है, "ग्लोबल बॉन्ड यील्ड्स और पूंजी के वापस अमेरिका की ओर रुख करने के मद्देनजर हमें अगले दो सालों में कैपिटल अकाउंट और करेंट अकाउंट की हालत अच्छी नहीं दिख रही।"

ट्रंप की जीत के बाद बाज़ार को उम्मीद है कि उनका प्रशासन टैक्स में कटौती करेगा एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स और डीरेग्युलेशन पर जोर देगा।

चुनाव के दौरान ही अमेरिका ट्रेजरी यील्ड 25 फीसदी बढ़ा है जो पिछले दो सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर है। पिछले महीने अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी फेडरल फंड्स रेट बढ़ाई थी। इसके साथ ही ब्याज दरों को बढ़ाने का संकेत भी दिया था।

इधर, नोटबंदी की वजह से भारत में औद्योगिक और सेवा क्षेत्र, दोनों ही प्रभावित हुए हैं। भारत में सरकारी आंकड़े भी बता रहे हैं कि इस साल आर्थिक विकास दर 7.1 फीसदी के करीब रहेगी।

एजेंसी इनपुट के साथ

Source : News Nation Bureau

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