विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अप्रैल महीने के आखिरी कुछ दिनों में बहुत ज्यादा खरीदारी की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एफपीआई ने 29 अप्रैल तक 9,752 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई ने हाल के दिनों में भारत में अपनी निवेश रणनीति में बदलाव किया है।
जबकि वह इस साल के शुरुआत की तीन महीनों में विक्रेता थे, लेकिन वह अप्रैल में खरीदार बन गए हैं। अप्रैल महीने के आखिरी दिनों में एफपीआई ने बहुत ज्यादा खरीदारी की। एफपीआई ने 29 अप्रैल तक 9,752 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
वी.के. विजयकुमार ने कहा एक महत्वपूर्ण माइक्रो फेक्टर जिसने एफपीआई के रुख को झुकाया है, वह रुपये में मजबूती है। इस वर्ष फरवरी के अंत में रुपया डॉलर के मुकाबले 82.94 (आईएनआर) के निचले स्तर को छू गया था, अब डॉलर के मुकाबले 81.75 रुपये हो गया है।
भारत का चालू खाता घाटा कम हो रहा है और यदि यह ट्रेंड जारी रहती है तो रुपये में और मजबूती आ सकती है। आने वाले समय में देश में एफपीआई के और पैसा लगाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि एफपीआई द्वारा वित्तीय सेवाओं और ऑटो और ऑटो कॉम्पोनेंट्स में खरीदारी की जा रही है।
वित्त मंत्रालय द्वारा मार्च के लिए जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सीएडी में कमी, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के बढ़ते निवेश के कारण 2022-23 की तीसरी तिमाही के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है।
वर्ष 2022-23 के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार में और वृद्धि के साथ, 2022-23 की चौथी तिमाही में सीएडी के और भी कम होने की संभावनाएं हैं।
बाहरी स्थिरता मजबूत होने के बावजूद आंतरिक स्थिरता में योगदान देने वाले फेक्टर्स में भी सुधार हुआ है। दस्तावेज में कहा गया है कि 2022-23 में केंद्र और राज्यों के लिए राजकोषीय मानदंड मजबूत रहे हैं।
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Source : IANS