ऐसा नहीं है कि रुपया कमजोर हुआ है, बल्कि अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 ने इस बात को दोहराया है कि उस अवलोकन के खिलाफ कितने भी ट्वीट क्यों न लिखे जाएं, यह एक तथ्य है।
वित्तवर्ष के आधार पर यानी अप्रैल से दिसंबर 2022 तक रुपये में डॉलर के मुकाबले 8.3 फीसदी की गिरावट आई है।
इसी अवधि में डॉलर इंडेक्स के संदर्भ में डॉलर में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह कैलेंडर वर्ष के आधार पर भी कायम है, यानी जनवरी से दिसंबर 2022 तक रुपये में 10.8 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि डॉलर में 6.4 फीसदी की तेजी आई है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि कैलेंडर वर्ष 2022 में दिसंबर तक अमेरिकी डॉलर (27 अर्थव्यवस्थाओं) की नाममात्र प्रभावी विनिमय दर (एनईईआर) में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि भारत के एनईईआर (64 अर्थव्यवस्थाओं) में 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई।
आगे कहा गया है, कई अन्य मुद्राओं में रुपये की तुलना में डॉलर के मुकाबले और भी अधिक मूल्यह्रास हुआ। इस प्रकार, मौजूदा भू-राजनीतिक संकट की शुरुआत के बाद से वर्ष के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये के बाहरी मूल्य में बहुत व्यवस्थित गति देखी गई है।
इसके अलावा, डॉलर को छोड़कर चुनिंदा प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपये में मजबूती आई। पाउंड स्टर्लिग के मुकाबले रुपये की औसत विनिमय दर अप्रैल-दिसंबर 2022 में अप्रैल-दिसंबर 2021 की तुलना में 6.7 प्रतिशत बढ़ी। यह सराहना की दर जापानी येन के संबंध में 14.5 प्रतिशत और यूरो के मुकाबले 6.4 प्रतिशत थी।
सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्तवर्ष के आधार पर यानी अप्रैल और दिसंबर 2022 के बीच रुपये में क्रमश: 6-मुद्रा और 40-मुद्रा व्यापार भारित सूचकांकों के संदर्भ में 3.4 प्रतिशत और 4.0 प्रतिशत की गिरावट आई। वास्तविक रूप में भी रुपये में वैश्विक स्पिल ओवरों के कारण मामूली मूल्यह्रास देखा गया।
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Source : IANS