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सब्जी, दाल सस्ता होने से खुदरा महंगाई दर नरम होकर मार्च में 5.91 प्रतिशत रही

सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2020 में 6.58 प्रतिशत तथा पिछले साल मार्च में 2.86 प्रतिशत थी.

Updated on: 14 Apr 2020, 04:30 AM

नई दिल्ली:

सब्जी, अंडा और मांस जैसे खाने के सामान की कीमत कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति मार्च महीने में चार महीने के न्यूनतम स्तर 5.91 प्रतिशत पर आ गयी. महंगाई दर का यह आंकड़ा रिजर्व बैंक के लक्ष्य के हिसाब से संतोषजनक स्तर पर है. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2020 में 6.58 प्रतिशत तथा पिछले साल मार्च में 2.86 प्रतिशत थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सीपीआई के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर इस साल मार्च में 8.76 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने 10.81 प्रतिशत थी.

रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है. इसमें पिछले महीने से गिरावट का रुख है. दिसंबर 2019 से ही यह 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई थी. इससे पहले, नवंबर 2019 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.54 प्रतिशत थी. सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति अधिकतम दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है. आंकड़े के अनुसार मार्च में अंडे की महंगाई दर 5.56 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह में 7.28 प्रतिशत थी. इसी प्रकार, सब्जियों की महंगाई दर आलोच्य महीने में 18.63 प्रतिशत रही जो एक महीने पहले फरवरी में 31.61 प्रतिशत थी.

फरवरी के मुकाबले मार्च में थोड़ी ज्यादा रही मंहगाई
इसके अलावा फल, दाल एवं अन्य संबंधित उत्पादों की मुद्रास्फीति भी नरम हुई है. हालांकि दूध और उसके उत्पादों की महंगाई दर फरवरी के मुकाबले मार्च में थोड़ी अधिक रही. आंकड़े के अनुसार ईंधन और लाइट (बिजली) खंड में महंगाई दर मामूली रूप से बढ़कर मार्च में 6.59 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह में 6.36 प्रतिशत थी. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एनएसओ के अनुसार कीमत आंकड़ा चुने गये 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से लिये गये.

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लॉकडाउन की वजह से संग्रह क्षेत्र का काम निलंबित
मंत्रालय के अनुसार सरकार के कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ (बंद) को देखते हुए कीमत संग्रह का क्षेत्र में काम 19 मार्च 2020 से निलंबित है. ऐसे में करीब 66 प्रतिशत कीमत उद्धरण (कोटेशन)लिये गये. एनएसओ ने कहा कि कि शेष कीमत उद्धरण के मूल्य आचरण के आकलन को लेकर एनएसओ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य तौर-तरीके और गतिविधियों को अपनाया. उसने कहा कि सीपीआई के आकलन को लेकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जो कीमत आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, वे स्वीकार्य सीमा के भीतर हैं. आंकड़े के अनुसार देश के शहरी क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.56 प्रतिशत तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 6.09 प्रतिशत रही.

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आने वाले समय में खुदरा मुद्रास्फीति में आ सकती है कमी
आंकड़े के बारे में एमके ग्लोबल फाइनेंश्शियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (मुद्रा) राहुल गुप्ता ने कहा कि खाद्य पदार्थ और सब्जियों की कीमतों में गिरावट है जिसके कारण महंगाई दर आरबीआई के लिए तय ऊपरी सीमा के अंतदर आ गयी है. उन्होंने कहा, लॉकडाउन के कारण मार्च महीने में उत्पादन सामग्री और कच्चे माल और उत्पादों की कीमत में वृद्धि कम हुई है. इसका मतलब है कि इसमें आने वाले समय में खुदरा मुद्रास्फीति में और कमी आ सकती है. इससे आरबीआई के लिये अर्थवस्था को उबारने के लिए गैर-परंपरागत कदम उठाने या नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश बनेगी. इक्रा की अर्थशास्त्री अदित नायर ने कहा कि मार्च में खुदरा महंगाई दर के मोर्चे पर अभी जो राहत मिली है, उसमें निकट भविष्य में बदल सकती है. देशव्यापी बंद के दौरान शहरी खुदरा महंगाई दर में वृद्धि की संभावना है. हालांकि स्थिति सामान्य होने पर इसमें सुधार आ सकता है.