Advertisment

कोरोना वायरस के डर के बीच आई ये बड़ी खुशखबरी, खुदरा महंगाई घटी, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी सुधरा

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी-IIP) पर आधारित देश की औद्योगिक वृद्धि दर जनवरी में बढ़कर दो प्रतिशत पर पहुंच गयी, यह इसका छह माह उच्चतम स्तर है.

author-image
Dhirendra Kumar
New Update
INFLATION

IIP-Retail Inflation( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

देश के कारखानों के उत्पादन (Industrial Production) में जनवरी महीने में कुछ सुधार देखने को मिला है और खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) भी नरम होकर फरवरी में दो महीने के निचले स्तर पर आ गयी है. ऐसे में पहले से सुस्त चल रही आर्थिक वृद्धि दर के समक्ष कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण के कारण उपस्थित नयी चुनौतियों से जूझने के लिये रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के पास नीतिगत दर में कटौती करने का विकल्प आसान हुआ है.

यह भी पढ़ें: शेयर बाजार में लगा निचला सर्किट, 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रुकी, सुबह 10.21 पर दोबारा खुलेगा मार्केट

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी-IIP) पर आधारित देश की औद्योगिक वृद्धि दर जनवरी में बढ़कर दो प्रतिशत पर पहुंच गयी, यह इसका छह माह उच्चतम स्तर है. साल भर पहले आईआईपी वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मुख्यत: खनन और बिजली उत्पादन बढ़ने से आईआईपी सुधरा है.

यह भी पढ़ें: BLACK FRIDAY: कोरोना के कहर से आज भी नहीं बच पाया शेयर बाजार, सेंसेक्स 3,150 प्वाइंट लुढ़का

आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.5 प्रतिशत बढ़ा. एक साल पहले इसी महीने इस क्षेत्र की वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत थी. इसी तरह आलोच्य माह में बिजली उत्पादन 3.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि जनवरी, 2019 में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत बढ़ा था. हालांकि फरवरी महीने में आईआईपी वृद्धि दर में गिरावट आ सकती है. इसका कारण वाहन, प्रौद्योगिकी, दवा, फैशन आदि जैसे उद्योग हो सकते हैं, जो काफी हद तक चीन से कच्चे माल के आयात पर निर्भर करते हैं.

यह भी पढ़ें: Rupee Open Today 13 March 2020: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया आज भी लुढ़का

फरवरी में घट गई खुदरा महंगाई

कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण चीन का विनिर्माण व निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है. आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों और रसोई की अन्य सामानों की कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में घट कर 6.58 प्रतिशत पर आ गयी. पिछले छह माह में पहली बार मुद्रास्फीति में नरमी दर्ज की गयी है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2020 में 7.59 प्रतिशत और फरवरी 2019 में 2.57 प्रतिशत रही थी.

सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्राफीति चार प्रतिशत के इर्द गिर्द रखने की जिम्मेदारी दी है इसमें ज्यादा से ज्यादा दो प्रतिशत तक घट बढ़ को स्वीकार्य माना गया है. समीक्षावधि में मांस और मत्स्य क्षेत्र की महंगाई दर 10.2 प्रतिशत रही जो जनवरी में 10.5 प्रतिशत थी. अगस्त 2019 के बाद खुदरा मुद्रास्फीति में यह पहली बार नरमी का रुख रहा. सब्जियों की महंगाई दर फरवरी में घटकर 31.61 प्रतिशत पर आ गयी. जनवरी में यह 50.19 प्रतिशत थी. दालों और अंडों की कीमत में भी नरमी रही.

यह भी पढ़ें: Gold Rate Today: सोने-चांदी में आज फिर गिरावट की आशंका, देखें बेहतरीन Trading Calls

खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 प्रतिशत

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2020 में खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 प्रतिशत रही जो जनवरी में 13.63 प्रतिशत थी। हालांकि ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति की दर जनवरी के मुकाबले बढ़कर दोगुनी यानी 6.36 प्रतिशत हो गयी. आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण अंचलों में मुद्रास्फीति की दर इस दौरान 10.37 प्रतिशत रही जबकि शहरी इलाकों में यह 11.51 प्रतिशत रही. दोनों ही मामलों में कीमतों में वृद्धि जनवरी के मुकाबले नीची रही. रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति का बड़ा प्रभाव होता है. मौद्रिक नीति समिति की फरवरी में हुई पिछली बैठक में उसने नीतिगत दरों को 5.15 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था.

यह भी पढ़ें: Petrol Rate Today 13th March 2020: आज फिर सस्ता हो गया पेट्रोल-डीजल, लगातार दूसरे दिन कीमतों में गिरावट

मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेस के प्रमुख (शोध-मुद्रा) राहुल गुप्ता ने कहा कि फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति में कमी मुख्य तौर पर खाद्य कीमतों में नरमी की वजह से दर्ज की गयी है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर अनिश्चिता बनी हुई है. हमें उम्मीद है कि रिजर्व बैंक जल्द ही कोई एहतियाती
कदम उठाएगा या बाद में अप्रैल की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती करेगा. डिलॉयट इंडिया में अर्थशास्त्री रुमकी मजुमदार ने कहा, ‘‘महामारी फैलने, आर्थिक नरमी तथा वैश्विक स्वास्थ्य संकट के बीच जनवरी में आईआईपी वृद्धि दर में सुधार और फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी राहत की तरह हैं. हालांकि कच्चा तेल की कीमतों के गिरने से मुद्रास्फीति पर पड़ने वाला असर इन आंकड़ों में शामिल नहीं है.

IIP cpi-सांसद Retail Inflation Consumer Price Index Industrial Production
Advertisment
Advertisment
Advertisment