झारखंड में कृषि गतिविधियों में सौर ऊर्जा के व्यापक इस्तेमाल से राज्य सरकार अगले पंद्रह वर्षों में 12,465 करोड़ रुपये की बचत कर सकती है। इसके साथ ही राज्य में सोलर इकाइयों से करीब 4250 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। यह बात शुक्रवार को यहां झारखंड सरकार के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के मंत्री बादल पत्रलेख के हाथों जारी संबंधित एनर्जी ट्रांजिशन रोडमैप रिपोर्ट में कही गयी है।
कृषि मंत्री ने झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा), सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित एक कांफ्रेंस में इस रिपोर्ट का विमोचन किया। इस कांफ्रेंस का आयोजन राज्य में कृषि क्षेत्र की संरचनात्मक समस्याओं के समाधान में अक्षय ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने और इस पर समुचित नीतिगत पहल के लिए परिचर्चा के उद्देश्य से किया गया था।
इस रोडमैप को एक सामयिक और बेहद जरूरी पहल बताते हुए मंत्री पत्रलेख ने कहा कि, अक्षय ऊर्जा के जरिए हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर कर सकते हैं और आर्थिक एवं सामाजिक जीवन में सार्थक बदलाव ला सकते हैं। हमारा विभाग इस रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशों को योजना निर्माण के क्रम में सकारात्मक रूप से लेगा।
इस रिपोर्ट का प्रमुख निष्कर्ष यह है कि कृषि कार्यों में सौर ऊर्जा के उपयोग से राज्य में वर्ष 2021-22 से 2037-38 के बीच 36.4 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन से बचा जा सकता है। करीब 2,34,000 ग्रिड कनेक्टेड सिंचाई पंप और 40,5447 स्टैंडअलोन ऑफ-ग्रिड सोलर पंप सम्मिलित रूप से 700 मेगावाट की मांग को पूरा कर सकते हैं। ग्रामीण स्तर पर कृषि उत्पादों के प्रबंधन से जुड़ी बुनियादी संरचना की दिशा में 8343 माइक्रो और मॉडल कोल्ड स्टोरेज की स्थापना से अगले 15 वर्षों में 3.64 लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता पैदा हो सकती है। इसी तरह ग्राम स्तर पर 81000 गोदामों की सुविधाओं के विकास से 160 मेगावाट की सोलर रूफटॉप की सम्भावना पैदा हो सकती है।
इस अवसर पर जेरेडा के डायरेक्टर के के वर्मा ने कहा कि एक स्टेट नोडल एजेन्सी के रूप में राज्य की सभी आर्थिक गतिविधियों में अक्षय ऊर्जा के व्यापक इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और यह रोडमैप इसी कड़ी में उठाया गया एक ठोस प्रयास है। रोडमैप के व्यापक उद्देश्यों पर सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा कि राज्य सरकार को सस्टेनेबल एग्रीकल्चर मिशन शुरू करना चाहिए। कांफ्रेंस को झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रो एसके समदर्शी सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया। इस कार्यक्रम में प्रमुख सरकारी विभागों एवं एजेंसियों, उद्योग-व्यापार संगठनों, किसान उत्पादक समूहों, अकादमिक जगत, रिन्यूएबल एनर्जी डेवेलपर्स, रिसर्च थिंकटैंक और राज्य के प्रमुख सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
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Source : IANS