रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति को जारी कर दी है। RBI ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसकी दर 6.25% पर बरकरार रखी है। यह लगातार तीसरी बार है जब आरबीआई ने किसी प्रकार का कोई बदलाव न किया हो।
रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट 5.75 से बढ़ाकर 6% कर दिया है। इसके अलावा आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018 में जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी के मुकाबले 7.4 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं अप्रैल-सितंबर अवधि में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
इसके अलावा रिज़र्व बैंक ने उत्तर प्रदेश सरकार की पहल, किसानों की कर्जमाफी को आर्थिक और नैतिक खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि इससे एक ओर बैंकों की परेशानी बढ़ती है तो दूसरी ओर टैक्स देने वालों पर भी बोझ बढ़ता है।
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इसके अलावा रिज़र्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 8.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। जोकि उम्मीद से कहीं ज़्यादा है।
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट यानि आरईआईटी को भी मंजूरी मिलने की बात कही है जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
क्या होता है रेपो रेट
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बैंक को भी अपने काम के लिए कर्ज लेना पड़ता है। ऐसे में सभी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज लेता है उसे रेपो रेट कहते हैं। अगर बैंकों को सस्ते ब्याज पर पैसा मिलेगा तो वह लोगों को भी सस्ता लोन ले सकेगा जिसकी ब्याज दर कम होंगी।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
जब बैंक के पास पैसा ज्यादा होता है तो वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास अपना पैसा रख देता है। इसपर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। यानी जो ब्याज आरबीआई द्वारा दिया जाता है उसको रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
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Source : News Nation Bureau