सब्जियों के दाम बढ़ने पर RBI ने दूसरी छमाही के लिए महंगाई का अनुमान बढ़ाया

रिजर्व बैंक (RBI) ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 3.5 से 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.

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Dhirendra Kumar
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सब्जियों के दाम बढ़ने पर RBI ने दूसरी छमाही के लिए महंगाई का अनुमान बढ़ाया

सब्जियों के दाम बढ़ने पर RBI ने महंगाई का अनुमान बढ़ाया( Photo Credit : फाइल फोटो)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.1- 4.7 प्रतिशत कर दिया है. मुख्य रूप से प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतों में उछाल को देखते हुये केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया है. रिजर्व बैंक (RBI) ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 3.5 से 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.

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सब्जियों की कीमतों में जारी रह सकती है तेजी
रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में कहा, ‘‘आगे चलकर मुद्रास्फीति का परिदृश्य कई कारकों से प्रभावित होगा. सब्जियों की कीमतों में तेजी आने वाले महीनों में जारी रह सकती है. हालांकि, खरीफ फसल की आवक बढ़ने और सरकार द्वारा आयात के जरिये आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों से फरवरी, 2020 की शुरुआत में सब्जियों के दाम नीचे लाने में मदद मिलेगी.

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अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.6 प्रतिशत पर पहुंची
केंद्रीय बैंक ने कहा कि दूध, दालों और चीनी जैसे खाद्य उत्पादों में कीमतों पर जो शुरुआती दबाव दिख रहा है, वह अभी कायम रहेगा. इससे खाद्य मुद्रास्फीति प्रभावित होगी. अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई. मुख्य रूप से खाद्य वस्तुएं महंगी होने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को प्रभावित करने में खाद्य मुद्रास्फीति का प्रमुख योगदान रहा. अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 6.9 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो 39 माह का उच्चस्तर रहा है.

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विशेषरूप से प्याज की कीमतों में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. सितंबर में प्याज की कीमतें जहां 45.3 प्रतिशत चढ़ गईं, वहीं अक्टूबर में इसमें 19.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. इसके साथ ही फल, दूध, दलहन और अनाज के दाम में वृद्धि हुई है, इनकी वृद्धि के पीछे विभिन्न कारक परिलक्षित हुये हैं. जहां दूध के मामले में चारे के दाम बढ़ना वजह रही है वहीं दालों में उत्पादन और बुवाई क्षेत्रफल कम होना वजह रही है. चीनी उत्पादन कम होने के कारण अक्टूबर माह में चीनी के दाम गिरावट से उबर गये.

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