आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का बयान 'महंगाई दर 4% बनाए रखना प्राथमिकता'

रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता महंगाई 4 प्रतिशत बनाए रखने की है। उन्होने कहा कि इस स्तर को पाने के लिए नीतियों में बदलाव करते रहने होंगे।

रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता महंगाई 4 प्रतिशत बनाए रखने की है। उन्होने कहा कि इस स्तर को पाने के लिए नीतियों में बदलाव करते रहने होंगे।

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Shivani Bansal
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आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का बयान 'महंगाई दर 4% बनाए रखना प्राथमिकता'

उर्जित पटेल, आरबीआई गवर्नर (फाइल फोटो)

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि केंद्रीय बैंक का लक्ष्य महंगाई दर को 4 प्रतिशत के करीब बनाए रखना है। उर्जित पटेल ने माना कि नोटबंदी का असर कुछ कमोडिटी की कीमतों पर पड़ा है। उन्होंने बताया कि ख़ासकर सब्जियों की कीमतों में आई गिरावट शॉर्ट टर्म के लिए है।

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आरबीआई गवर्नर ने अप्रैल से सितंबर के दौरान महंगाई 4.5 प्रतिशत से लेकर 5 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि इस स्तर को पाने के लिए नीतियों में बदलाव करते रहना होगा।

उन्होने कहा कि, 'रुपया अपने उचित स्तर के आसपास ही है, इसमें उतार-चढ़ाव आने पर ही कोई कदम उठाया जाएगा।' मौद्रिक नीति में आरबीआई ने क्यों ब्याज दरों में कोई बदलाव न करने का रुख अपनाया हुआ है, तो इस सवाल पर उन्होंने कहा है कि, 'न्यूट्रल रुख से रेट घटाने, बढ़ाने और स्थिर रखने के विकल्प खुले हैं।'

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वहीं जीडीपी दर पर किए सवाल के जवाब में उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि,'वित्त वर्ष 2018 में इकोनॉमिक रिकवरी बढ़ने की उम्मीद है।' उर्जित पटेल ने कहा कि, 'लंबे समय बाद एक्सपोर्ट के आंकड़े बेहतर हो रहे हैं। साथ ही बजट से रियल्टी, हाउसिंग और रूरल सेगमेंट को फायदा हुआ है। सितंबर के बाद निजी निवेश बढ़ने से ग्रोथ तेज होगी, ऐसे में वित्त वर्ष 2018 के लिए 7.4 फीसदी ग्रोथ का अनुमान काफी बेहतर है।'

नोटबंदी पर उन्होंने कहा कि, 'नोटबंदी के बाद तेज रिकवरी को लेकर हर किसी को भरोसा है और रीमोनेटाइजेशन से ग्रोथ की रफ्तार और तेज होगी।' सरकार के नोटबंदी के फैसले को जायज ठहराते हुए उर्जित पटेल ने बताया कि इस फैसले के पीछे कई वजहें थी जिनमें सबसे प्रमुख जाली नोट की समस्या को दूर करना था।

उन्होंने कहा कि, 'नोटबंदी का फायदा दिखने में थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन डिजिटाइजेशन पर फोकस का फायदा जरूर दिखेगा। नोटबंदी का असर लंबे वक्त तक दिखने के लिए और कदम उठाने होंगे।'

अमेरिकी नीतियों के भारत पर असर पर उनका कहना था कि, 'अमेरिका के वित्तीय घाटे का दो तिहाई हिस्सा एशियाई देशों से होता है। यूएस का संरक्षणवाद इमर्जिंग देशों के लिए बड़ी चिंता की बात है। इन देशों का बड़े उतार-चढ़ाव से बचना काफी मुश्किल होगा। लेकिन आर्थिक स्थिरता के लिहाज से भारत की स्थिति मजबूत है। यूएस में दरें बढ़ीं तो भारत पर असर दिख सकता है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं।'

वहीं उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के पर अपनी नीति नहीं बदलनी चाहिए उन्होने सलाह देते हुए कहा है कि भारत को ओपन इकोनॉमी में बने रहना चाहिए। 

ग्लोबल इकोनॉमी से जुड़ी चिंता पर बात करते हुए आईबीआई गवर्नर ने कहा कि, 'कमजोर पॉलिसी की वजह से कई देशों में अस्थिरता है। ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी के दाम बढ़ने से भी चिंता है। लेकिन 2017 में ग्लोबल ग्रोथ 2016 से बेहतर होगी।'

देश के आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि, 'देश में लैंड, लेबर रिफॉर्म से ग्रोथ को सहारा मिलेगा। महंगाई कम रखने से विकास दर सुधरेगी और केंद्रीय बैंक विकास दर बढ़ाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।' साथ ही उन्होंने मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी बनाना एक ऐतिहासिक कदम बताया है।

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Source : News Nation Bureau

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