RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कही ये बड़ी बात

Coronavirus (Covid-19): भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक कार्यक्रम में उद्योग जगत को संबोधित करते हुये दास ने कहा कि अवसंरचना क्षेत्र के विकास में व्यापक निवेश की जरूरत है और इसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्र को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.

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Dhirendra Kumar
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शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ( Photo Credit : फाइल फोटो)

Coronavirus (Covid-19): रिजर्व बैंक के गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) के प्रभाव से जूझ रही अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ाने के लिये मूलभूत सुविधाओं वाली परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया है. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक कार्यक्रम में उद्योग जगत को संबोधित करते हुये दास ने कहा कि अवसंरचना क्षेत्र के विकास में व्यापक निवेश की जरूरत है और इसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्र को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.

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आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में हाल में उठाये गये सुधार के कदमों से इस क्षेत्र में नये अवसर खुले हैं. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र आकर्षण का केन्द्र बनकर उभर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत को ऐसी नीतियों की आवश्यकता है जिससे कि कृषि क्षेत्र की आय में निरंतर वृद्धि होती रहे. विदेशी मुद्रा विनिमय दर के बारे में दास ने कहा कि इसके लिये रिजर्व बैंक का कोई निर्धारित लक्ष्य नहीं है लेकिन जब भी इसमें अनावश्यक घटबढ़ होगी रिजर्व बैंक इस पर नजर रखेगा. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, जीवीसी (ग्लोबल वैल्यू चेन्स) की भागीदारी में 1 फीसदी की वृद्धि से देश की प्रति व्यक्ति आय का स्तर 1 फीसदी से अधिक बढ़ सकता है.

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RBI कर सकता है ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर सकता है. आरबीआई के गवर्नर की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चलने वाली बैठक चार अगस्त से शुरू होनी है और छह अगस्त को इस बारे में कोई घोषणा की जाएगी. केंद्रीय बैंक कोविड-19 महामारी के प्रकोप से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और लॉकडाउन के असर को सीमित करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है. इससे पहले एमपीसी की बैठक मार्च और मई 2020 में हो चुकी है, जिनमें नीतिगत रेपो दरों में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती की गई. इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘हम रेपो दर में 0.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर में 0.35 प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं.

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इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ राजकिरण राय ने कहा, 0.25 प्रतिशत कटौती की संभावना है या वे दर को यथावत रख सकते हैं. नायर ने आगे कहा हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति एमपीसी के लक्ष्य दो-छह प्रतिशत के दायरे को पार कर गई है, लेकिन इसके अगस्त 2020 तक वापस इस सीमा के भीतर फिर आने की उम्मीद है. उद्योग संघ एसोचैम का कहना है कि उद्योगों को हो रही समस्याओं को देखते हुए आरबीआई को ऋण पुनर्गठन पर अधिक ध्यान देना चाहिए.

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