देश के मौजूदा हालात में आर्थिक गतिविधियां कमजोर रहने पर RBI ने जताई चिंता

आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा का कहना था कि आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई है.

आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा का कहना था कि आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई है.

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Dhirendra Kumar
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देश के मौजूदा हालात में आर्थिक गतिविधियां कमजोर रहने पर RBI ने जताई चिंता

रिजर्व बैंक (Reserve Bank)( Photo Credit : फाइल फोटो)

रिजर्व बैंक (Reserve Bank) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) का मानना था कि आर्थिक गतिविधियां (Economic Activity) कमजोर बनी हुई हैं और वाहनों की बिक्री और पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन जैसे उच्च आवृत्ति वाले संकेतक नरमी से बाहर आने का कोई इशारा नहीं करते. इसके आधार पर केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरूआत में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रखा था. आरबीआई (RBI) के बृहस्पतिवार को जारी एमपीसी बैठक के ब्योरे के अनुसार समिति के सदस्य और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा का कहना था कि आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई है.

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अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं
एमपीसी की 6 फरवरी को हुई बैठक में उन्होंने कहा था. क्षेत्र विशेष में हल्की तेजी के साथ इस बात के संकेत हैं कि वृद्धि की गति थोड़ी स्थिर हुई है, लेकिन पूरी अर्थव्यवस्था में इस प्रकार की तेजी नहीं है. कुछ क्षेत्रों में नरमी अधिक है और मांग में नरमी के कारण गतिविधियां अटकी हुई हैं. पात्रा ने कहा कि उच्च आवृत्ति के संकेतों से कोई ठोस सबूत नहीं मिल रहा है कि नरमी की स्थिति खत्म हो गयी हैं और स्थिर ठीक हो रही है. छह सदस्यीय समिति के प्रमुख आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हालांकि सुधार दिख रहे हैं.

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चालू वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ 5 फीसदी रहने का अनुमान
देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है. वाहनों की बिक्री और पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन जैसे उच्च आवृत्ति के संकेतक पिछले कई महीनों से नरम हैं. दास ने कहा कि केंद्रीय बजट में राजकोषीय सूझबूझ बनाये रखते हुए अर्थव्यवस्था को सुस्ती से बाहर निकालने के लिये उपाय किए गए हैं.

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उन्होंने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का लाभ तथा बैंक कर्ज प्रवाह में सुधार आया है लेकिन उसे ओर मजबूत होने की जरूरत है. गवर्नर ने कहा कि मांग की स्थिति नरम बनी होने के साथ खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. इसका कारण मोबाइल शुल्क, वाहनों के दाम और जरूरी दवाओं की कीमतों में वृद्धि के कारण लागत प्रभाव है.

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