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'प्रभु' के नेतृत्व में पटरी पर दौड़ी रेल, 2016-17 में रेलवे की रिकॉर्ड कमाई, 1.68 लाख करोड़ रु कमाया राजस्व

वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान रेलवे ने रिकॉर्ड रेवेन्यु हासिल किया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया है कि इस वित्तीय वर्ष रेलवे की कमाई 1.68 लाख करोड़ रुपये हुई है।

Updated on: 04 Apr 2017, 02:23 PM

नई दिल्ली:

वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान रेलवे ने रिकॉर्ड रेवेन्यु हासिल किया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया है कि इस वित्तीय वर्ष रेलवे की कमाई 1.68 लाख करोड़ रुपये हुई है।

सरकार की पीठ थपथपाते हुए उन्होंने बताया कि सरकार ने फ्रेट ट्रैफिक पर फोकस बढ़ाकर और यात्री किराए में इनोवेटिव कदमों के जरिए बढ़िया रेवेन्यु हासिल किया है।

वित्तीय वर्ष 2017 में रेलवे ने 1.094 अरब टन माल ढुलाई के तय लक्ष्य को पार कर 1.107 अरब टन की माल ढुलाई की। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए यह लक्ष्य 1.2 अरब टन निर्धारित किया गया है।

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गौरतलब है कि इससे पहले रेलवे के फ्रेट और पैसेंजर ट्रैफिक में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। रेल मंत्रालय के मुताबिक रेल की सेहत सुधारने के लिए उठाए गए कई कदमों के कारण रेलवे को ग्रोथ की पटरी पर लौटी है। 

बीते वित्त विर्ष पैसेंजर ग्रोथ सेगमेंट का रेवेन्यू तकरीबन 48,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। यह उससे पिछले साल के मुकाबले 2,000 करोड़ रुपये ज्यादा है।

फ्रेट रेवेन्यू 1.09 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि उससे पिछले साल यह आंकड़ा 1.04 लाख करोड़ था। नॉन कोर रेवेन्यू मसलन स्क्रैप सेल्स, ऐड राइट्स आदि से इनकम कुल 11,000 करोड़ रुपये रही।

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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया, 'बेहद चुनौतीपूर्ण माहौल के बावजूद हमने काफी अच्छा किया है। समय-समय पर उठाए गए कदमों के कारण हम डिमांड में गिरावट के पूर्वानुमान में सफल रहे और इससे हम ट्रैफिक को वापस लाने में सफल रहे।'

मंत्रालय ने पिछले साल जो कदम उठाए, उनमें कुछ कमोडिटीज पर अडिशनल डिस्काउंट, फ्रेट पर कई तरह के चार्ज को खत्म करना और प्रीमियम पैसेंजर ट्रेन के लिए इनोवेटिंग प्राइसिंग सिस्टम शामिल हैं।

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गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2016 में रेलवे ने 1.62 लाख रुपये का राजस्व हासिल किया था। वित्त वर्ष 2017 में 1.68 की कमाई के साथ रिकॉर्ड बनाने के बाद रेलवे अगले वित्त वर्ष 2018 में और बेहतरी की उम्मीद कर रहा है।

रेल मंत्री ने बताया, 'हमने जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। रैक की उपलब्धता है और कई कमोडिटीज की मांग में पहले से तेजी है। पिछले वित्त वर्ष में कई तरह के फ्रेट रिफॉर्म हुए है, जिसका बड़ा असर अब दिखेगा।'

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