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सख्त हुआ दिवालिया कानून, राष्ट्रपति ने दिवालिया कानून में बदलाव वाले अध्यादेश को दी मंजूरी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दिवाला और दिवालियापन कानून में बदलाव लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इससे कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों/व्यक्तियों को संबंधित संपत्ति की बोली लगाने से रोका जा सकेगा।

Updated on: 23 Nov 2017, 06:55 PM

highlights

  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दिवाला और दिवालियापन कानून में बदलाव लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी
  • इससे कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों/व्यक्तियों को संबंधित परिसंपत्तियों की बोली लगाने से रोका जा सकेगा

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दिवाला और दिवालियापन कानून में बदलाव लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए।

कानून में बदलाव किए जाने के बाद जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले लोगों के लिए दीवालिया की प्रक्रिया में शामिल होने पर रोक लग जाएगी।

कानून में बदलाव के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वैसे समय में अध्यादेश को मंजूरी दी है जब दीवालिया कानून का सामना कर रही कंपनियों के प्रवर्तक फिर से कंपनी का नियंत्रण हासिल करने की जोड़-तोड़ में जुटे हुए हैं।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा, 'इस अध्यादेश से बड़े कर्जदारों को अपनी ही संपत्ति के लिए बोली लगाने से रोकने में मदद मिलेगी।'

उन्होंने कहा कि हालांकि यह अध्यादेश उन्हें तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की बोली लगाने से पूरी तरह रोकता नहीं है, लेकिन उनके लिए ऐसा करना मुश्किल जरूर बना देता है।

उन्होंने कहा, 'आप ऐसा नहीं कह सकते कि मेरा खाता एनपीए है, लेकिन मैं बोली लगाऊंगा। यह भारतीय राजनैतिक व्यवस्था के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है।'

उन्होंने कहा, 'मुझे भी इसकी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ेगी। आप तनावग्रस्त संपत्ति भी रखेंगे और नीलामी के दौरान उसकी बोली भी लगाना चाहेंगे, ऐसा नहीं होगा।'

उन्होंने कहा कि एक समाधान यह हो सकता है कि एनपीए खाताधारी कम से आगे आकर 1 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्ति (फंसा हुआ कर्ज) का कम से कम 10-15 हजार करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान तो कर दे।

मौजूदा कानून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को एनपीए की समस्या से निपटने का अधिकार देता है। आरबीआई को यह अधिकार दिया गया है कि वह कर्जदारों से कर्ज की वसूली के लिए दीवालिया प्रक्रिया शुरू करे और बैंकों की तरफ से कर्ज की वसूली के लिए रास्ता सुझाने और सहयोग देने के लिए समिति का गठन करे।

बैंकों के बढ़ते एनपीए से निपटने के लिए इस कानून को लाया गया है, जिसमें अब एक बार फिर से बदलाव किए जाने की तैयारी पूरी की जा चुकी है।

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