भारतीय उत्पादन में लगातार तीसरे महीने ऊंचाई दर्ज की है और मार्च में यह पांच महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मार्च महीने में घरेलू और निर्यातित ऑडर्स में हुई बढ़ोतरी के चलते पीएमआई में बढ़त दर्ज की गई है।
सर्वे के मुताबिक मुद्रास्फीति के दबाव में कमी होने से इनपुट कीमतें धीमी गति से बढ़ीं और उत्पादन और मांग को बढ़ावा मिला है।
निक्कई मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानि पीएमई के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में मैन्युफैक्चरिंग 52.5 की दर से पांच माह की उच्चतम वृद्धि दर्ज की गई जबकि फरवरी महीवे में यह आंकड़ा 50.7 दर्ज किया गया था।
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इस आंकड़ों के मुताबिक 50 से ऊपर का आंकड़ा बढ़त दर्शाता है जबकि 50 के नीचे का मतलब गिरावट का संकेत देता है।
नोटबंदी के बाद फैक्ट्री आउटपुट और मांग में आई तेज़ गिरावट के बाद, ऑर्डर बुक्स में लौटी तेज़ी, मांग के चलते उत्पादन में भी तेज़ बढ़त दर्ज की गई। नवंबर-दिसंबर के दौरान हुई नोटबंदी के कदम के बाद जनवरी से मार्च तक लगातार यह तीसरा महीना है जब पीएमआई में बढ़त दर्ज की गई है।
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आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखक पोलीअना डी लीमा ने कहा कि, 'मार्च का पीएमआई डेटा भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़त का दौर दर्शाता है। ऑर्ड्स में बढ़त का असर फैक्ट्री उत्पादन पर पड़ा है। इसके अलावा कुछ कंपनियों को अपने निवेश को खरीदने के लिए और अतिरिक्त कार्यकर्ताओं को लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।'
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Source : News Nation Bureau