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कमजोर होती अर्थव्यवस्था पर अरुण जेटली के साथ मंथन करेंगे पीएम मोदी, नोटबंदी के बाद कमजोर हुई है अर्थव्यवस्था

देश में अर्थव्यवस्था में आई मंदी से चिंतित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।

Updated on: 19 Sep 2017, 01:17 PM

नई दिल्ली:

देश में अर्थव्यवस्था में आई मंदी से चिंतित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में आर्थिक मंदी से निपटने के उपायों पर चर्चा की जाएगी।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के सचिवों और वित्तमंत्री के साथ प्रधानमंत्री आर्थिक स्थिति की समीक्षा करेंगे।  साथ ही आर्थिक विकास की गति में तेजी लाने के विकल्पों पर भी चर्चा की जाएगी।

ये बैठक ऐसे समय में हो रही है जब एक दिन पहले ही सरकार के अपने आंकड़ों ने इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हुए विकास दर को पिछले तीन साल के सबसे निचले स्तर पर दिखाया है।

आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में अप्रैल से जून के बीच विकास दर 7.9 फीसदी थी लेकिन इस साल ये दर गिरकर 5.7 फीसदी पर आ गई है। जबकि जनवरी-मार्च में 6.1 फासदी रही।

पिछले 6 तिमाही से विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है। हाल ही में आए आर्थिक सर्वेक्षण में भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की गति धीमी होगी और 7.5 फीसदी के विकास दर के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी।

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इस समय निर्यात भी धीमा है और औद्योगिक विकास पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर पर है।

ट्रेड गैप के कारण अप्रैल-जून की तिमाही में करेंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) में बढ़ोतरी हुई है जो विकास दर की 2.4 फीसदी है।

सीएडी फॉरेन एक्सचेंज के आवक और जावक के अंतर को कहा जाता है। पिछले वित्त वर्ष के जून में यह 0.1 फीसदी (0.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) था। जबकि 2017 के जनवरी-मार्च में यह अंतर 0.6 फीसदी (3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का हो गया।

इस बैठक में जजीएसटी के लागू होने में आने वाली समस्याओं और नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर असर के बारे में भी चर्चा की जाएगी।

मंत्रालय के अधिकारी अभी तक की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की उगाही और उनके प्रोजेक्शन को लेकर भी प्रधानमंत्री को जानकारी देंगे।

इसके अलावा प्रधानमंत्री को विनिवेश की स्थिति के बारे में बताया जाएगा ताकि प्रधानमंत्री मोदी को सरकारी खजाने की स्थिति की तस्वीर साफ रहे।

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सूत्रों का कहना है कि जुलाई माह में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में धीमे विकास पर भी चर्चा की जाएगी। जो 1.2 फीसदी ही रहा था। साथ ही मानसून की स्थिति क्या रही इसके बारे में भी चर्चा की जाएगी ताकि कृषि क्षेत्र के विकास पर भी फोकस हो और परेशानियों का पहले से अनुमान लगाकर उपाय ढूंढे जाएं।

अगस्त में आए आंकड़ों ने खुदरा और थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है।

सरकार का कहना है कि नोटबंदी से कालेधन पर लगाम लगा है और कालेधन पर रोक लगाने के दूसरे उपायों पर भी बैठक में चर्चा की जाएगी।

सूत्रों का कहना है कि चर्चा का मुख्य मुद्दा अर्थव्यवस्था में आई मंदी के कारणों और सरकार के पास मौजूद विकल्पों के बारे में भी चर्चा की जाएगी।

इस बैठक में आर्थिक विकास, रोज़गार के सृजन और निवेश को बढ़ाने के लिेये उठाए जा सकने वाले कदमों पर चर्चा की जाएगी।

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सरकार की चिंता इस बात को लेकर है कि विकास दर की हालत खराब क्यों है। जबकि मुद्रा की उपलब्धता के कारण आर्थिक वातावरण बेहतर है, वैश्विक विकास दर भी बढ़ी है, सरकारी खजाने में मुद्रा है, विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी नहीं है। इसके अलावा मानसून की स्थिति भी सही है जिसके कारण खाद्य पदार्थों के दाम भी स्थिर हैं और तेल के दामों में भी स्थिरता है।

बैठक में सरकारी खर्च और जीएसटी को लेकर होने वाली समस्याओं पर भी चर्चा की जाएगी।

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