दावोस में संरक्षणवाद पर बरसे पीएम मोदी, कहा-आतंकवाद व जलवायु परिवर्तन है बड़ा खतरा
स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सामने आ रही तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र किया।
highlights
- विश्व आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने दुनिया के सामने आ रही तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र किया
- दावोस में पीएम ने जिन तीन चुनौतियों का जिक्र किया, उस पर भारत की राय वैश्विक महाशक्तियों से अलग है
- इसके बावजूद पीएम मोदी ने इन तीन चुनौतियों का जिक्र करते हुए उस पर भारत की राय को मजबूती से सामने रखा
नई दिल्ली:
भारत को वैश्विक निवेश के गंतव्य के रूप में पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को बढ़ते संरक्षणवाद के खिलाफ चेताया और कहा कि टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं बढ़ रही हैं, जो वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर रही हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और 'आत्मकेंद्रित' होना दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।
स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भूमंडलीय वास्तविकताओं के चलते आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है।
मोदी ने अपने भाषण में पिछले तीन सालों में अपनी सरकार द्वारा किए गए सुधारों को रेखांकित किया और कहा कि सरकार लालफीताशाही खत्म कर चुकी है और उसकी जगह लाल कालीन बिछा चुकी है और परिवर्तनकारी सुधारों की कार्ययोजना तैयार की है।
उन्होंने कहा, 'आज भारत में निवेश, भारत की यात्रा, भारत में काम, भारत में निर्माण, भारत से उत्पादन और निर्यात दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए पहले की तुलना में आसान है, क्योंकि हमने 'लाइसेंस-परमिट राज' को खत्म करने और लालफीताशाली को खत्म करने का निर्णय लिया है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में अब ऑटोमेटेड रूट के जरिए 90 फीसदी से अधिक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संभव है। पिछले साढ़े तीन साल में, सरकार ने 1,400 पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है।
स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सामने आ रही तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र किया।
दावोस में पीएम ने जिन तीन चुनौतियों का जिक्र किया, उस पर भारत की राय वैश्विक महाशक्तियों से अलग है। इसके बावजूद पीएम मोदी ने इन तीन चुनौतियों का जिक्र करते हुए उस पर भारत की राय को मजबूती से सामने रखा।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएएफ) की बैठक को संबोधित करते हुए पीए मोदी ने कहा कि वह सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करेंगे, जो मानव सभ्यता के लिए खतरे पैदा कर रही हैं।
1.पीएम ने सबसे पहले खतर के रूप में जलवायु परिवर्तन का जिक्र किया।
मोदी ने कहा, 'पहला खतरा जलवायु परिवर्तन का है। ग्लेशियर्स पीछे हटते जा रहे हैं। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। बहुत ते द्वीप डूब रहे है या डूबने वाले हैं। बहुत गर्मी और बहुत ढंड। बेहद बारिश और बाढ़ या बहुत सूखा। एक्स्ट्रीम वेदर का प्रभाव दिनों दिन बढ़ रहा है। हर कोई कहता है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करना चाहिए। लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं, जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त तकनीक मुहैया कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैटा कराने में मदद करना चाहते हैं।'
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान वैसे समय में सामने आया है, जब पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के बाहर होने के बाद उसके टूटने का खतरा पैदा हो गया है।
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अमेरिका से करीबी संबंध होने के बावजूद मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर उसके उलट राय रखी है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब मोदी ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते दुष्प्रभावों को रोकने की दिशा में कदम नहीं उठाए जाने को लेकर दुनिया की महाशक्तियों पर परोक्ष रूप से निशाना साधा है।
इस दौरान उन्होंने उपनिषद की शिक्षा, बुद्ध के अपरिग्रह (आवश्यकता के मुताबिक इस्तेमाल करने की नीति) और महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गांधी जरूरत के मुताबिक उपयोग और उपभोग के पक्ष में थे और उन्होंने लालच पर आधारित शोषण का सीधा विरोध किया था।
2. दूसरी चुनौती के रूप में पीएम मोदी ने आतंकवाद के खतरों का जिक्र करते हुए अच्छे और बुरे आतंकवाद की रणनीति पर निशाना साधा।
पीएम ने कहा, 'आतंकवाद खतरनाक है। लेकिन उससे भी बुरा तब हो जाता है जब लोग इसे अच्छे और बुरे में विभाजित कर देते हैं।'
उन्होंने कहा, 'कुछ युवाओं को चरमपंथ का रास्ता पकड़ते हुए देखने में बेहद तकलीफ होती है।'
3. तीसरी चुनौती के रूप में मोदी ने वैश्वीकरण की सीमाओं का जिक्र करते हुए विकसित देशों के संरक्षणवादी रुख पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, 'मैं यह देखता हूं कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाण को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि हर कोई इंटरकनेक्टेड विश्व की बात करता है लेकिन वैश्वीकरण की चमक कम हो रही है।'
पीएम ने कहा कि वैश्वीकरण के विपरीत संरक्षणवाद की ताकतें सर उठा रही हैं। उनकी मंशा है कि न सिर्फ वह खुद वैश्वीकरण से बचें बल्कि इसके प्राकृतिक प्रवाह का रुख भी उलट दें।
मोदी ने कहा, 'इसका नतीजा यह है कि नये-नये प्रकार के टैरिफ और नॉन टैरिफ बैरियर देखने को मिलते हैं। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते और बातचीत रूक गए हैं। क्रॉस बॉर्डर वित्तीय निवेश में कमी आई है और ग्लोबल सप्लाई चेन की वृद्धि भी रूक गई है।'
और पढ़ें: कमजोर होते वैश्वीकरण के बीच ट्रांसफॉर्मेशन की राह पर भारत : PM मोदी
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