भारत एक कृषि प्रधान देश माना गया है. यहां पर अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर है. पतंजलि ने भी किसानों और खेती की मदद की है. इस दौरान कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. हमारे देश में किसान अपने खेतों और मिट्टी से उतना ही प्रेम करते हैं, जितना परिवार के सदस्यों से करते हैं. बदलती फार्मिंग क्वालिटी ने रसायनों का इस्तेमाल इतना बढ़ा दिया है कि हर कोई इसे अपना रहा है. इससे खेती महंगी होती जा रही है. पतंजलि पुरानी पद्धति से खेती को बढ़ावा दे रही है. इससे मिट्टी की गुणवत्ता और फसलों की बिक्री पर असर पड़ रहा है. पतंजलि जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर न केवल मिट्टी की सेहत को सुधार रही है बल्कि किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लेकर आ रही है. किसान खुशहाल भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं.
कंपनी किसानों की सहायता करने में जुटी
कंपनी ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने में लगी है. इसके कई तरीकों के बारे में किसानों को शिक्षित कर रही है. कंपनी किसानों की सहायता करने में जुटी हुई है. इससे किसानों के खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर हो रही है. पतंजलि का लक्ष्य है कि किसानों की आमदनी को बढ़ाना और राष्ट्रीय विकास खेती के द्वारा करना है. पतंजलि का मिशन किसानों को सशक्त बनाकर पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना है. इस पहल के जरिए खेती की गुणवत्ता में सुधार आएगा. इसके साथ पैदावार बेहतर होगी.
फसलों की इम्यूनिटी भी ज्यादा हो जाती है.
पतंजलि ने विभिन्न ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को विकसित किया है. ये प्रोडक्ट्स मिट्टी के फिजिकल और केमिकल स्ट्रक्चर में सुधार करते हैं. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसलों की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है. इनमें ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, माइकोराइजा जैसे प्राकृतिक तत्व भी शामिल होते हैं. इससे मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाते हैं और फसलों की इम्यूनिटी भी ज्यादा हो जाती है.
किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता
पतंजलि की सफलता के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक किसानों को दिया जाने वाला प्रशिक्षण है. कंपनी किसान समृद्धि कार्यक्रम, किसानों को जैविक खेती के लाभ और तकनीकों के बारे में शिक्षण प्रदान करती है. इस कार्यक्रम के तहत किसानों को ऑर्गेनिक खेती के विभिन्न पहलुओं, जैसे फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि के उपयोग के बारे में जानकारी दी जाती है. इससे किसानों की आय में तेजी आती है और उनकी रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटती है. इससे पर्यावरण पर भी पॉजिटिव इंपैक्ट पड़ता है.