भारत में स्वदेशी और आत्मनिर्भता के मामले में पतंजलि का नाम सबसे आगे आता है. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की अगुवाई में आरंभ हुई कंपनी आज करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल रही है. आयुर्वेद, योग और नेचुरल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने वाली पतंजलि न सिर्फ एक ब्रांड है बल्कि एक आंदोलन बन चुका है. यह कंपनी देश में बने प्रोडक्ट को अपनाने की प्रेरणा देती है और विदेशी वस्तुओं की जगह देसी ऑप्शन को बढ़ावा दे रही है. पतंजलि का सफर भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत पहल है.
छोटे ब्रांड से बनी बड़ी कंपनी
पतंजलि आयुर्वेद ने ऊंचाइयों को छुआ है. बाबा रामदेव की अगुवाई में एक छोटा सा आयुर्वेदिक ब्रांड भारत की बड़ी कंपनियों बन चुका है. यह कंपनी न केवल फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) के क्षेत्र में बदलाव लाई है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रही है. पतंजलि की खास बात है कि इसका स्वदेशी आंदोलन के प्रति समर्पण है. यह कंपनी स्वदेशी समानों को बढ़ावा दे रही है. इससे भारत के आयात पर निर्भरता कम होगी. वहीं घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.
भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
पतंजलि का घरेलू चीजें बनाने पर काफी जोर है. यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के सपने को साकार करने में लगी है. इसका अर्थ है कि देश के अपने संसाधनों को पूरा उपयोग करना है. देश में बनने वाली चीजों को बढ़ावा देना है. पतंजलि खासकर हेल्थ, खाना और रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी चीजों में विदेश से सामान मंगाने की जरूरत को कम कर रहा है. कंपनी के ज्यादातर प्रोडक्ट्स भारतीय किसानों से मिलने वाली चीजों से निर्मित हैं. इससे खेती और गांवों की अर्थव्यवस्था को लाभ हो रहा है. लोगों को रोजगार भी मिलता रहा है.
गांवों में रोजगार मिल रहा बढ़ावा
पतंजलि छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को बढ़ावा दे रहा है. यह कंपनी स्थानीय किसानों, छोटे उत्पादकों और व्यवसायियों से सीधे जुड़ी है. उन्हें बाजार दे रही है. इससे ग्रामीण भारत में रोजगार को बढ़ावा मिल रहा है. इससे लोगों की आमदनी में सुधार हो रहा है.