सूरजमुखी तेल की किल्लत से पाम ऑयल उत्पादकों की बल्ले-बल्ले
सूरजमुखी तेल की किल्लत से पाम ऑयल उत्पादकों की बल्ले-बल्ले
नयी दिल्ली:
भारत जिन दो देशों रूस और यूक्रेन से भारी मात्रा में सूरजमुखी तेल का आयात करता है, उनके युद्धरत होने से इसकी आपूर्ति पर गहरे बादल छा गये हैं, जिसका सर्वाधिक लाभ पाम ऑयल उत्पादकों को होगा।दोनों देशों के बीच छिड़ी भीषण जंग के कारण वहां से सूरजमुखी तेल की आपूर्ति बाधित हो गयी है और विश्लेषकों के मुताबिक जंग खत्म होने के बाद भी निकट भविष्य में ये स्थिति तत्काल नहीं सुधरेगी। इस जंग का असर दोनों देशों में सूरजमुखी की खेती पर लंबे समय तक रहेगा और उत्पादन कम होने पर आपूर्ति आगे भी खतरे में रहेगी।
भारत भारी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनमें 60 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी पाम ऑयल की है। सूरजमुखी तेल की बाजार में कमी होने से पाम ऑयल की बाजार हिस्सेदारी और बढ़ जायेगी।
भारत 25 लाख टन से अधिक सूरजमुखी तेल का आयात करता है। सूरजमुखी तेल की आपूर्ति बाधित होने से पाम ऑयल की कीमतों में काफी तेजी आ गयी है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध विश्लेषक विनोद टी पी ने कहा,यूक्रेन और रूस के बीच जंग ने सूरजमुखी तेल की बड़ी खेप को संकट में डाल दिया है। इससे वैश्विक बाजार में मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है। भारत सूरजमुखी तेल का बहुत बड़ा आयातक है। सूरजमुखी तेल के आयात के लिये यूरोप और अर्जेटीना पर निर्भर नहीं हुआ जा सकता है क्योंकि ये देश खुद ही सबसे बड़े उपभोक्ता भी हैं।
उन्होंने कहा, अब जहां तक अर्जेटीना की बात है, वहां के सूरजमुखी तेल की अधिक कीमत, कम उत्पादन और माल ढुलाई में अधिक लागत के कारण उससे तेल खरीदने की संभावना कम है। भारत की संस्कृति विविध है और यहां का खानपान भी काफी अलग है, तो यहां लोग आसानी से उस खाद्य तेल को खरीदने लगेंगे, जो कम कीमत पर उपलब्ध है।
उनके मुताबिक सोयाबीन तेल और पाम ऑयल पर निर्भरता अब और बढ़ जायेगी। उन्होंने कहा कि सरसों की अच्छी फसल की उम्मीद से कीमतों में उतना अधिक उछाल नही ंआ पायेगा।
देश में सरसों की फसल की अभी कटाई हो रही है और कुछ ही दिनों में सरसों का तेल बाजार में आने लगेगा जिससे खाद्य तेलों की कीमतों में अधिक तेजी का लगाम लगेगा।
सूरजमुखी तेल की किल्लत और पाम ऑयल की कीमतों में आयी तेजी का असर सोयाबीन तेल पर पड़ा है और इसके दाम जंग शुरु होने के बाद से अब तक दस फीसदी बढ़ चुके हैं।
ब्रोकरेज फर्म कोटक सिक्योरिटीज के मुताबिक दक्षिण अमेरिकी देशों में सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान लगातार कम होने से और इंडोनेशिया में पाम ऑयल का घरेलू आवंटन बढ़ाने से पाम ऑयल की कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी की संभावना है।
रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया की सरकार ने देश में पाम ऑयल की घरेलू कीमतों में आये तेल उछाल को देखते हुये उत्पादन के एक हिस्से को घरेलू बाजार में बेचना जरूरी कर दिया है। इंडानेशिया पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है और उसके बाद दूसरे स्थान पर मलेशिया है।
केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिये कई उपाय किये हैं लेकिन उनका कोई असर बाजार पर नही ंदिख रहा है।
पिछले साल के मध्य में केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2021 तक के लिये रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडराइज्ड पाम ऑयल और रिफाइंड ब्लीच्ड डियाडराइज्ड पामोलीन के आयात पर लगाया प्रतिबंध हटा दिया था।
इसके बाद केंद्र सरकार ने गत साल के अंत में मार्च 2022 तक के लिये रिफाइंड पाम ऑयल पर आयात शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था।
गोदरेज इंटरनेशल के निदेशक दोराब ई मिस्त्री ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि ऊर्जा की ऊंची कीमतों के कारण पूरे साल कीमतें बढ़ी ही रहेंगी। वैश्विक आर्थिक सुस्ती का असर पाम ऑयल समेत कमोडिटी की कीमतों पर पड़ेगा। हालांकि, मांग की भारी कमी के कारण इस साल के मध्य तक कमोडिटी की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह