मांग बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार को दिए ये सुझाव
पी चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उपायों के तहत, उन्होंने राज्यों की GST क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के अलावा, 50 प्रतिशत गरीब परिवारों को नकद हस्तांतरित करने, उन्हें खाद्यान्न देने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की मांग की.
नई दिल्ली:
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने मांग को प्रोत्साहित करने और देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को पुनर्जीवित करने में मदद करने के लिये सरकार को अधिक उधार लेने का रविवार को सुझाव दिया. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने धन जुटाने के कुछ उपाय भी सुझाये, जिनमें एफआरबीएम मानदंडों में ढील, विनिवेश में तेजी और वैश्विक बैंकों से धन उधार लेना शामिल है. अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उपायों के तहत, उन्होंने राज्यों की माल एवं सेवा कर (GST) क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के अलावा, 50 प्रतिशत गरीब परिवारों को नकद हस्तांतरित करने, उन्हें खाद्यान्न देने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की मांग की.
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सबसे गरीब 50 प्रतिशत परिवारों को कुछ नकदी हस्तांतरित करे सरकार: पी चिदंबरम
उन्होंने ट्वीट किया कि मांग व खपत को प्रोत्साहित करने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिये कुछ ऐसे ठोस कदम उठाये जा सकते हैं, सबसे गरीब 50 प्रतिशत परिवारों को कुछ नकदी हस्तांतरित करें. ऐसे सभी परिवारों को खाद्यान्न दें, जिन्हें इसकी आवश्यकता है. बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च बढ़ायें। खाद्यान्न भंडार का वस्तु के रूप में मजदूरी भुगतान में उपयोग करें. बड़े सार्वजनिक निर्माण कार्य शुरू करें. बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करें ताकि वे अधिक उधार दे सकें और राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान करें.
Here are are some concrete steps to raise money:
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 6, 2020
1. Relax the FRBM norm and borrow more this year
2. Accelerate disinvestment
3. Use the offer of USD 6.5 billion by IMF, WB, ADB etc
4. As last resort, monetise part of the deficit
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चिदंबरम ने कहा कि इन सबों को पैसे की जरूरत होगी. कर्ज लें. संकोच न करें. उन्होंने सुझाव दिया कि धन जुटाने के कुछ ठोस कदम इस प्रकार के हो सकते हैं. एफआरबीएम के प्रावधानों को सरल करें और इस साल अधिक कर्ज उठायें. विनिवेश को तेज करें. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्वबैंक, एशियाई विकास बैंक आदि की 6.5 अरब डॉलर की पेशकश का इस्तेमाल करें. अंतिम उपाय के तौर पर राजकोषीय घाटे का मौद्रीकरण करें (सीधे रिजर्व बैंक को बांड देर पैसा लें). (इनपुट भाषा)
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