अब सोमनाथ और अंबाजी मंदिर में चढ़ाए फूलों से बनेगी अगरबत्ती, इस कंपनी ने मांगी अनुमति
गुजरात के दो बड़े मंदिरों, सोमनाथ और अंबाजी में चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्ती बनाने के लिए एक कंपनी बात कर रही है.
अहमदाबाद:
विश्व की सबसे बड़ी और 70 साल पुरानी अगरबत्ती निर्माता कंपनी मैसूर आधारित साइकल प्योर गुजरात के दो बड़े मंदिरों, सोमनाथ और अंबाजी के प्रबंधनों के साथ वहां भक्तों की ओर से चढ़ाये गये फूलों के ढेर को अपने अगरबत्ती निर्माण व्यवसाय के लिए इस्तेमाल करने के लिए लेने के बारे में बातचीत कर रही है. हर साल 12 अरब अगरबत्तियां बनाने वाली यह कंपनी अमेरिका, ब्राजील और मेक्सिको समेत 65 देशों में निर्यात करती है और फिलहाल मैसूर के विश्वविख्यात चांमुडेश्वरी मंदिर के अलावा वहां के दो अन्य बड़े मंदिरों श्री लक्ष्मी वेंकटरमणस्वामी मंदिर और नंदुंजेश्वरा मंदिर के चढ़ाये गये फूलों का इस्तेमाल अपने अगरबत्तियों के निर्माण के लिए करती है.
कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित रंगा ने यहां अपने एक नये उत्पाद सैंडलम के गुजरात लांच के मौके पर बताया कि मंदिरों में भारी पैमाने पर चढ़ाने जाने वाले फूलों के निस्तारण में खासी समस्या होती है. पानी में बहाये जाने से प्रदूषण होता है. उनकी कपंनी तीन मंदिरों से ये फूल लेकर इन्हें सुखा कर इनका पाउडर बनाती है और इसे अगरबत्ती बनाने में उपयोग करती है. यह देश के अन्य बड़े मंदिरों से भी फूल लेना चाहती है. इसकी गुजरात के सोमनाथ मंदिर, जिसे भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से पहला माना जाता है और उत्तर गुजरात के शक्तिपीठ अंबाजी से भी इस्तेमालशुदा फूल लेने के लिए बातचीत चल रही है.
सोमनाथ में यह कुछ समय पहले प्रायोगिक तौर पर ऐसा कर चुकी है . कंपनी को उम्मीद है कि उसे ऐसा करने की मंजूरी मिल सकती है. कंपनी की देश भर में छह निर्माण इकाइयां हैं, पर सुगंध संबंधी मुख्य इकाई मैसूर में है. यहां से इसकी शुरुआत 1948 में हुई थी. अनुमति मिल जाने पर गुजरात के मंदिरों से भी फूलों को मैसूर ही ले जाया जायेगा.
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