आपकी वास्तविक आय और इंकम टैक्स रिटर्न की फाइलिंग में छोटी-मोटी भूल और गलतियों की वजह से अब आपको नोटिस नहीं भेजेगा।
पिछले वित्त बिल में छोटे और सैलरीड करदाताओं को राहत देने के लिये इसका प्रावधान किया गया था। ताकि फॉर्म-16 और फॉर्म 26AS में दी गई जानकारियों में अंतर होने पर करदाता को नोटिस न जाए।
सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा, 'छोटी गलतियों और भूल को मुद्दा नही बनाया जाए इसके लिये ये नीतिगत प्रावधान किया गया था। हमें करदाताओं पर भरोसा है और आईटीआर सिस्टम को आसान करने का लक्ष्य है।'
इस सिस्टम को साल 2018-19 में फाइल की गई आईटीआर के लिये 1 अप्रैल से प्रभावी होगा।
आईटीआर फाइल करने में होने वाले बेमल आंकड़ों को लेकर टैक्स विभाग डिमांड नोटिस भेजता था। करदाता और विभिन्न बैंकों से मिलने वाले फॉर्म-16 और फॉर्म 26AS के मिलान की ये प्रक्रिया टैक्स चोरी को रोकने के लिये की जाती है।
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हालांकि सीबीडीटी के टेयरमैन चंद्रा ने कहा कि बड़ा अंतर पाए जाने या टैक्स चोरी की शंका पैदा हो तो ऐसे मामलों की समीक्षा की जाएगी।
विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि इस तरह के छोटे अंतर वाले सैकड़ों मामले लंबित हैं जिनकी प्रॉसेसिंग नहीं हो पा रही। ऐसे में वित्त मंत्रालय को इस तरह का प्रस्ताव दिया गया।
अधिकारी ने कहा, 'इस तरह की भूल के सही कारण भी हो सकते हैं इसलिये वर्तमान प्रक्रिया में बदलाव किया गया है।'
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Source : News Nation Bureau