केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध का निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।
उसने कहा, यूक्रेन संकट के कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं और केंद्र सरकार समानांतर स्रोतों की तलाश कर रही है।
यहां एक संवाद सत्र में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और यूक्रेन में चल रहे युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल का आयात करता है। उन्होंने कहा, तेल की कीमतें बढ़ना चिंताजनक है और हमें देखना होगा कि किस तरह की स्थिति सामने आती है।
तेल कंपनियां 15 दिनों के औसत के आधार पर तेल की कीमतें तय करती हैं।
सीतारमण ने कहा कि सरकार यह पता लगा रही है कि क्या कोई वैकल्पिक स्रोत है, जहां से वह कच्चे तेल खरीद कर सकती है।
उन्होंने कहा, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर होगा। हमने बजट में इसके लिए कुछ प्रावधान किए हैं। लेकिन यह अब इससे परे है और हमें यह देखना होगा कि इसे कैसे हल किया जा सकता है।
मंत्री ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन 30 प्रतिशत गेहूं का निर्यात करते हैं, जिसे युद्ध शुरू होने के बाद बंद कर दिया गया था। हालांकि, भारतीय किसान बड़ी मात्रा में गेहूं का उत्पादन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, हमें वैश्विक आयाम के साथ चुनौती को स्वीकार करना होगा। हम आत्मनिर्भरता हासिल करेंगे और गेहूं उपलब्ध कराने के मामले में दुनिया की मांगों को पूरा करेंगे।
यह देखते हुए कि कई लोगों ने आयात पर कर बढ़ाने पर आपत्ति जताई है, उन्होंने कहा कि लोगों को यहां उत्पादित उत्पादों को खरीदना होगा। उन्होंने कहा, कई लोग स्वदेशी निर्मित उत्पादों की खरीदारी न कर विदेशी उत्पादों पर निर्भर हैं, जबकि यहां निर्मित उत्पादों पर कर कम किया गया है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि सभी राज्यों को समान रूप से धन वितरित किया गया है और कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।
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Source : IANS