साइरस मिस्त्री एक बार फिर से टाटा ग्रुप के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर बहाल हो गए हैं. नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने बुधवार को मिस्त्री को टाटा ग्रुप के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में फिर से बहाल कर दिया है. मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक न्यायाधिकरण ने एन चंद्रा की नियुक्ति को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अवैध ठहराया है. NCLAT ने सायरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि मिस्त्री फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए जाएं, उन्हें हटाना एक गलत निर्णय था.
आपको बता दें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLAT) में केस हारने के बाद साइरस मिस्त्री अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे. 9 जुलाई 2018 को एनसीएलटी ने अपने फैसले में कहा था कि टाटा सन्स का बोर्ड सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने के लिए सक्षम था. साइरस मिस्त्री को उनके पद से इसलिए हटाया गया क्योंकि कंपनी बोर्ड और बड़े शेयरधारकों को उन पर भरोसा नहीं रहा था. अपीलेट ट्रिब्यूनल ने जुलाई में फैसला सुरक्षित रखा लिया था.
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वहीं साइरस मिस्त्री ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आज की जीत मेरे लिए व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि सुशासन और अल्पसंख्यक शेयरधारक अधिकारों के सिद्धांतों के लिए एक जीत है. इन लोगों की अपील का परिणाम मेरे रुख का एक संकेत है.
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आपको बता दें कि इसके पहले साल 2016 के अक्टूबर में साइरस मिस्त्री टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. इसके दो महीने बाद साइरस मिस्त्री की ओर से साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने टाटा सन्स के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NSLT) की मुंबई बेंच में चुनौती दी थी. कंपनियों की दलील थी कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के मुताबिक नहीं था. जुलाई 2018 में NSLT ने उनके दावे को नकार दिया जिसके बाद सायरस मिस्त्री ने खुद NSLT के फैसले के खिलाफ अपील की और फैसला उनके पक्ष में आया.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो