नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline-NMP) आज आएगी, इकोनॉमी पर क्या होगा असर, जानिए यहां
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार ने नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline-NMP) के जरिए 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है.
highlights
- सरकार ने नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन के जरिए 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई
- आज शाम 5 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का औपचारिक ऐलान करेंगी
नई दिल्ली :
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Niramala Sitharaman) आज यानी राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline-NMP) का शुभारंभ करेंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार ने नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन के जरिए 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार इससे सरकारी कंपनियों में विनिवेश के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड करेगी. नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन को एसेट मॉनेटाइजेशन के तौर पर जाना जा रहा है. बता दें कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन पुस्तक का विमोचन नीति आयोग के उपाध्यक्ष, डॉ राजीव कुमार, सीईओ, अमिताभ कांत और संबंधित मंत्रालयों, जिनकी परिसंपत्तियां पर मुद्रीकरण पाइपलाइन आधारित हैं के सचिवों की उपस्थिति में किया जाएगा.
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आज शाम 5 बजे वित्त मंत्री करेंगी ऐलान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज शाम 5 बजे वित्त मंत्री राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का औपचारिक ऐलान करेंगी. बता दें कि इस साल बजट में इसका ऐलान किया गया था. डैसबोर्ड सिस्टम के तहत किस सेक्टर में एसेट को मॉनेटाइज करना है और उससे कितना पैसा इकट्टा होगा इसकी जानकारी मिलेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे और हाइवे सेक्टर में सबसे ज्यादा मॉनेटाइजेशन होने का अनुमान है. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट भाषण में ऐलान किया था कि एसेट मॉनेटाइजेशन को वित्त पोषण के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण विकल्प बताया था.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार को 26,700 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे के जरिए 1.6 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है. वहीं रेलवे के जरिए 1.5 लाख करोड़ रुपये और पावर सेक्टर से 0.67 लाख करोड़ रुपये आने का अनुमान है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार की दो नेशनल स्टेडियम का मॉनेटाइजेशन करने की भी योजना है. सरकार की सरकारी कंपनियों में हिस्सा बेचने की प्रक्रिया विनिवेश (Disinvestment) कहलाती है.
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