वैश्विक क्रेडिट रेंटिंग एजेंसी मूडीज़ ने माना है कि भारत में 8 नवंबर को सरकार द्वारा पुराने नोट बंद करने के बाद बाज़ार में नकदी की किल्लत हुई थी लेकिन अब स्थितियां बदल रही है। मूडीज़ का कहना है कि नोटबंदी के बाद अब बाज़ार में नकदी बढ़ने के साथ ही स्थितियां सामान्य हो रही है।
मूडीज ने कहा है कि, 'नोटबंदी के बाद नकदी के प्रचलन में बढ़ने के साथ ही स्थितियां सामान्य हो रही है और सरकार वापस सुधार के एजेंडे पर बढ़ रही है।' इससे पहले पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार ने 1000 और 500 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था।
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मूडीज ने अपनी रिपोर्ट 'इंडियन क्रेडिट- इकॉनमिक स्लोडाउन फ्रॉम डीमोनिटाइजेशन वेन्स, क्रेडिट इंप्लीकेशंस अनफोल्डिंग' में कहा है कि, 'लोगों के बीच नकदी का प्रवाह बढ़ने से स्थितियां सुधरी है। हमारा अनुमान है जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है जो अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में 7 फीसदी रही है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'ध्यान देने वाली बात यह है कि रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर नोटबंदी के बाद तेज गिरावट के बाद धीरे-धीरे उबर रहे हैं और यह प्रचलन वित्त वर्ष 2017-18 में भी जारी रहने की उम्मीद है।' रिपोर्ट में नोटबंदी के बाद स्टील उत्पादन के क्षेत्र में भी सुधार आने की बात कही गई है।
रिपोर्ट में कहा गया, 'नोटबंदी से तेल और गैस क्षेत्र पर कम असर देखने को मिला, जबकि आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण खुदरा उधारकर्ताओं के बीच कर्ज की मांग पर असर पड़ा है।'
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इस रिपोर्ट में बैंकों में बड़े पैमाने पर नकदी जमा होने के बारे में कहा गया कि इसमें अभी 1-2 फीसदी की और बढ़ोतरी होगी और खुदरा लेन-देन का प्रमुख साधन नकदी बना रहेगा। इसके अलावा, सुधारों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार का एजेंडा सही दिशा में जारी है।
मूडीज की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उसका मानना है कि नोटबंदी से देश के संस्थागत ढांचे को मजबूती मिली है, क्योंकि करचोरी रूकी है और भ्रष्टाचार घटा है जो देश की सॉवरिन क्रेडिट को सकारात्मक बनाता है।
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Source : IANS