Advertisment

GDP में गिरावट की क्या रही वजह? नोटबंदी या जीएसटी, तीन साल के निचले स्तर पर पहुंची विकास दर

गुरुवार शाम आए जीडीपी आंकड़ों ने देश की अर्थव्यवस्था की लचर हालत सामने रख दी है। बीते तीन साल में यह अब तक का सबसे निचला स्तर है।

author-image
Shivani Bansal
एडिट
New Update
GDP में गिरावट की क्या रही वजह? नोटबंदी या जीएसटी, तीन साल के निचले स्तर पर पहुंची विकास दर

तीन साल के निचले स्तर पर जीडीपी, वजह नोटबंदी या जीएसटी?

Advertisment

गुरुवार शाम आए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) आंकड़ों ने देश की अर्थव्यवस्था की लचर हालत सामने रख दी है। बीते एक साल में आर्थिक मोर्चे पर लगातार नई चुनौतियों से जूझती भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पटरी से उतरती नजर आ रही है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की दर गिरकर 5.7 फीसदी हो गई, जो पिछले 3 साल का निम्नतम स्तर है। अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए GST को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा।

देश का सबसे बड़ा कर सुधार माना जाने वाला GST देश में 1 जुलाई से लागू हुआ और अर्थव्यवस्था में इसका असर अगली तिमाही में सामने आ पाएगा। मौजूदा स्थिति के लिए नोटबंदी को सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराया जाना ही उचित होगा।

साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र में बीजेपी की सरकार में यह सबसे कमजोर आर्थिक विकास दर है। चालू वित्त वर्ष की जून में खत्म हुई तिमाही में जीडीपी 5.7 फीसदी दर्ज की गई जो 2016-17 की चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी थी।

साल 2015-16 तक भारत की विकास दर 7.6 फीसदी की गति से तेज़ आगे बढ़ते हुए दुनिया की अन्य आर्थिक शक्तियों के लिए चुनौती बन रही थी, लेकिन इसके बाद साल 2016-2017 में हुई 'आर्थिक सुधारों' ने ही अर्थव्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ कर रख दिया, जिसके संकेत पहले से ही मिलने लगे थे।

हालांकि सरकार इन संकेतों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही थी। 

2017 की विकास दर में गिरावट

नोटबंदी के झटके से उबरी भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर बीते वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 7.1 फीसदी दर्ज की गई। जबकि इससे पहले यह आंकड़ा 7.9 प्रतिशत था। यह पहली बड़ी गिरावट थी और एक बड़ा अंदेशा।

मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट

जीएसटी लागू होने के बाद जुलाई महीने में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई थी। निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जुलाई में 47.9 पर रहा, जबकि यह जून माह में 50.9 पर था। पीएमआई मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की स्थिति को बयां करता है।

जीएसटी और मांग में कमी से मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट, PMI इंडेक्स 50 से नीचे फिसला

इंडेक्स में 50 से ऊपर का अंक आर्थिक गतिविधियों में तेजी की तरफ इशारा करता है जबकि 50 से कम का मतलब आर्थिक गतिविधियों में मंदी से होता है। जुलाई में दर्ज यह गिरावट साल 2009 के फरवरी महीने के बाद सबसे बड़ी गिरावट थी।

कोर सेक्टर में बड़ी गिरावट

जीएसटी लागू होने से पहले ही जून महीने में देश के 8 बुनियादी उद्योगों जिन्हें कोर सेक्टर कहा जाता है, की विकास दर में तेज़ सालाना आधार पर तेज़ गिरावट दर्ज की गई थी।

जून महीने में कोर सेक्टर 0.4 फीसदी दर्ज की गई थी जोकि जून 2016 में 7 फीसदी थी। इन आठ बुनियादी सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफायनरी प्रॉडक्ट्स, फर्टिलाइजर, इस्पात, सीमेंट और बिजली उत्पादन शामिल है।

मंहगाई में गिरावट

मंहगाई में दर्ज गिरावट हालांकि इस बीच थोड़ा सुकून देती है लेकिन इसे लेकर जानकार संतुष्ट नहीं है। बीते जून महीने में खुदरा महंगाई दर 1.54 फीसदी दर्ज की गई जो कि 1999 के बाद से सबसे कम थी। इससे पहले पिछले साल समान अवधि में देश की खुदरा महंगाई दर 5.77 फीसदी रही थी।

महंगाई दर में ऐतिहासिक गिरावट के बाद RBI पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव, एसोचैम ने की मांग

लेकिन जानकारों की मानें तो वो इसे आर्टिफिशियल कॉन्ट्रेक्शन करार देते हैं। जानकारों का मानना है कि नोटबंदी के बाद अभी तक लोग ख़रीदादारी के लिए तैयार नहीं है लिहाज़ा बिक्री में गिरावट की वजह से मंहगाई दर में कमी आई है।

जुलाई महीने में थोक महंगाई दर सूचकांक (WPI) 1.88 फीसदी दर्ज की गई थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 1.88 फीसदी रही, जबकि जून में यह 0.90 फीसदी थी।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट

संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सरकाल ने माना कि चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 6.75 फीसदी से 7.5 फीसदी तक होने का अनुमान है।

सदन में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 भाग दो में सरकार ने बताया था, 'अर्थव्यवस्था ने अभी तक अपनी गति हासिल नहीं की है और इसमें अभी काफी संभावनाएं हैं।'

आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार ने माना, 7.5 प्रतिशत जीडीपी दर हासिल करना मुश्किल

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविन्द सुब्रह्मण्यम द्वारा लिखित सर्वेक्षण रिपोर्ट में सरकार ने कहा, 'कृषि राजस्व और गैर-खाद्यान्न कीमतों, कृषि ऋण छूट, राजकोषीय समेकन और बिजली व दूरसंचार क्षेत्रों की लाभप्रदता में आई कमी जैसे कारकों के कारण अपस्फीति की प्रवृत्ति पैदा हुई है।'

सरकार ने माना, नोटबंदी का ग्रोथ पर पड़ेगा असर 

संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने माना कि नवंबर में की गई नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में ठहराव आया और इस साल मार्च में खत्म हुई चौथी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेज गिरावट दर्ज की गई थी।

मार्च में ख़त्म वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में विकास दर सात फीसदी से घटकर 6.1 फीसदी पर आ गया, जबकि समूचे वित्त वर्ष 2016-17 में भी गिरावट दर्ज की गई है।

नोटबंदी पर RBI की रिपोर्ट के बाद मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर, जीडीपी में भारी गिरावट

HIGHLIGHTS

  • तीन साल ने निचले स्तर पर पहुंची आर्थिक विकास दर 
  • चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 5.7 फीसदी दर्ज की गई
  • क्या GST और नोटबंदी जैसे 'आर्थिक सुधारों' का दिखने लगा असर

Source : Shivani Bansal

GST demonetisation GDP
Advertisment
Advertisment
Advertisment