बजट को लेकर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य ने कही ये बड़ी बात

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि वित्त मंत्री के करीब तीन घंटे के भाषण में आर्थिक नरमी का एक बार भी जिक्र नहीं होना हैरान करने वाली बात है.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि वित्त मंत्री के करीब तीन घंटे के भाषण में आर्थिक नरमी का एक बार भी जिक्र नहीं होना हैरान करने वाली बात है.

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Dhirendra Kumar
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बजट को लेकर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य ने कही ये बड़ी बात

नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)( Photo Credit : फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्य आशिमा गोयल का मानना है कि आम बजट (Budget 2020) में दूरदर्शिता का अभाव दिखता है. हालांकि, राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में ढील देना तथा आयकर को सरल बनाना सकारात्मक कदम है. गोयल ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट रिसर्च में कहा कि वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के करीब तीन घंटे के भाषण में आर्थिक नरमी का एक बार भी जिक्र नहीं होना हैरान करने वाली बात है.

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निराश करने वाला है बजट
उन्होंने कहा हालांकि बजट में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये राजकोषीय मोर्चे पर उपाय किया जाना तथा खर्च को लेकर जिम्मेदारी बरतना इसे संतुलित बनाता है. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर बजट निराश करने वाला है क्योंकि नयी सरकार के पहले बजट में जो दृष्टिकोण होने चाहिये थे, इसमें उनका अभाव है. भविष्य को लेकर दृष्टिकोण दिखना चाहिये था. गोयल ने कहा कि हैरान करने वाली बात रही कि ऐसे समय में जब हर कोई आर्थिक नरमी को लेकर हलकान है, करीब तीन घंटे के लंबे बजट भाषण में इसका एक भी बार जिक्र नहीं किया गया. इस बात की कोई चर्चा नहीं हुई कि बजट किस तरह से आर्थिक नरमी से जूझने वाला है.

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उन्होंने कहा, हालांकि वित्त मंत्री ने अपने कदमों से संतुलन साधने का काम किया है. उनका बजट में आर्थिक नरमी से जूझने के लिये 2008-09 की तरह के उपायों का सहारा नहीं लेना सराहनीय है. तब राजकोषीय घाटे में चार प्रतिशत तक की वृद्धि हो गयी थी और ब्याज दर सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई थी. इनके अलावा कराधान के मोर्चे पर भी बजट में सकारात्मक उपाय किये गये हैं.

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गोयल ने कहा कि बजट में सरकार ने प्रत्यक्ष व्यय का अधिक जोर पूंजीगत व्यय पर रखा है, जिससे पता चलता है कि राजकोषीय मोर्चे पर गुणवत्ता पहले से बेहतर है. बजट में छोटी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की मदद के उपाय किये गये हैं, जो अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे क्योंकि अभी भी इस तरह की ज्यादातर कंपनियों के साथ तरलता का संकट है.

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