माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमईएआई) के गोवा चैप्टर ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को पत्र लिखकर बेरोजगारी के संकट को दूर करने और राज्य के लिए बहुत जरूरी राजस्व अर्जित करने के लिए खनन को तत्काल फिर से शुरू करने की अपील की है।
उद्योग निकाय ने पत्र के माध्यम से बताया कि गोवा में स्थायी खनिज विकास के लिए नीलामी उपयुक्त नहीं है, क्योंकि राज्य में अजीबोगरीब भूमि से संबंधित विरासत है और मामला अदालत में लंबित है।
एमईएआई ने कहा कि नीलामी प्रतिकूल लागत प्रभाव और खनन व्यवसाय कम होने के कारण खदानों को अनुपयोगी बना देगी, जिससे राज्य की रॉयल्टी और खनिज राजस्व प्रभावित होगा। संगठन ने नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से खनन ब्लॉकों/ग्रीनफील्ड पट्टों की पहचान और अनुदान के लिए राज्य सरकार के मौजूदा प्रयासों के बारे में भी आशंका प्रकट की है, क्योंकि अन्वेषण जैसी प्रक्रियाओं के बारे में बहुत कम स्पष्टता है।
एमईएआई ने रियायती अधिकारों के संबंध में 1998 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित कानूनी मामले का हवाला देते हुए खिलाफ खनन पट्टों की नीलामी की अपील की। संगठन ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि यदि गोवा को एमएमडीआर 2015 के अनुसार शेष भारत की तुलना में 50 वर्ष का अनुदान विस्तार नहीं दिया गया तो यह अनुचित होगा।
एमईएआई ने आगे लिखा कि नीलामी राज्य के राजस्व या खदानों के लंबे समय तक निलंबन के कारण खोए हुए रोजगार की भरपाई नहीं कर सकती। इसने इस बात पर रोशनी डाली कि खनन बंद होने के पिछले तीन वर्षो के दौरान खनन पेशेवर न केवल वित्तीय पहलुओं के मामले में, बल्कि प्रतिभा या तकनीकी विशेषज्ञता को निष्क्रिय करने के मामले में भी कठिन दौर से गुजरे हैं।
एमईएआई ने खनन पट्टों के बाहर खनन वेस्ट डंपों के नियमितीकरण और प्रबंधन नीति को मंजूरी देने के लिए राज्य सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदम की सराहना की। संगठन ने स्पष्ट किया कि वह हर उस कदम का समर्थन करेगा, जो खनन उद्योग को फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है और राज्य में बेरोजगारी के मुद्दों और आर्थिक संकट का समाधान कर सकता है।
एमईएआई ने प्रस्तावित वेस्ट डंप नीति की व्यवहार्यता पर गंभीर चिंता व्यक्त की, क्योंकि खनन पट्टों के बाहर वेस्ट डंप के रूप में पड़ी सामग्री निम्न गुणवत्ता की है, जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार की मौजूदा परिस्थितियों में बिक्री योग्य नहीं है। खनन डंप का चयन करना और इसे बिक्री योग्य बनाने के लिए सामग्री के ग्रेड में सुधार करना तकनीकी रूप से एक चुनौती है।
संगठन ने रियायती अधिकारों और/या गोवा, दमन और दीव रियायतों (खनन पट्टे के रूप में उन्मूलन और घोषणा) अधिनियम, 1987 (गोवा रियायत अधिनियम) में कानूनी संशोधन के लिए संभावित विधायी संशोधन की जोरदार मांग की, ताकि कानूनी रूप से एमएमडीआर 2015 के अनुसार पट्टे को विस्तार दिया जा सके।
एमईएआई (गोवा चैप्टर) के अध्यक्ष क्लेटस डिसूजा ने कहा, खनन उद्योग लगभग 30,000 लोगों की आजीविका का समर्थन करते हुए 70 वर्षो से अधिक समय से गोवा की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा रहा है। इस क्षेत्र में फिर से उछाल लाने, राज्य के लिए उच्चतम राजस्व उत्पादक बनने और परिचालन शुरू होने के बाद बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने की क्षमता है। सरकार को खनन कार्य फिर से शुरू करने और खनन आश्रितों और राज्य की बीमार अर्थव्यवस्था को राहत देने के अपने प्रयासों को बंद नहीं करना चाहिए।
एसोसिएशन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रॉयल्टी, जिला खनिज कोष, एनएमईटी और एडिशनल गोवा आयरन ओर परमानेंट फंड (जीआईओपीएफ) 2015 के माध्यम से खनन से होने वाली आय पहले के स्तर के राजस्व की तुलना में सरकार को उचित रिटर्न सुनिश्चित करती है।
एमईएआई ने राज्य सरकार को अनोखी परिस्थितियों के प्रति सचेत रहने और खनन गतिविधियों पर निर्भर उद्योग और समुदायों की जरूरतों के प्रति मुखर होने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री से राज्य की दयनीय स्थिति को दूर करने के लिए गोवा रियायत अधिनियम, 1987 में संशोधन के माध्यम से राज्य के खनन क्षेत्र को फिर से सक्रिय करने के लिए केंद्र सरकार के साथ तालमेल बनाए रखने का आग्रह किया।
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Source : IANS