दावोस में मंगलवार से शुरू होगा WEF सम्मेलन, विदेशी कंपनियों पर होगी भारत की नज़र
भारत के नज़रिए से देखें तो ये सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण है। भारत ने निवेश में विदेशी पूंजी को मंज़ूरी देकर पूरे विश्व के लिए बाज़ार का रास्ता खोल दिया है।
नई दिल्ली:
स्विट्ज़रलैंड के दावोस शहर में मंगलवार से विश्व आर्थिक मंच (WEF) सम्मेलन शुरू हो रहा है। WEF की 48 वीं बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरे विश्व के 130 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे।
सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने इस सम्मेलन और इससे भारत की उम्मीद को लेकर कहा, 'भारत ने हाल में आर्थिक मोर्चे पर जबरदस्त उपलब्धि हासिल की है और काफी मजबूती से आगे बढ़ा है। भारतीय उद्योग जगत ही नहीं बल्कि विदेशी कंपनियों में भी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर काफी सकारत्मक रुख़ दिखाई दे रहा है।'
भारत के नज़रिए से देखें तो ये सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण है। भारत ने निवेश में विदेशी पूंजी को मंज़ूरी देकर पूरे विश्व के लिए बाज़ार का रास्ता खोल दिया है।
भारत वर्तमान समय में आर्थिक रूप से पूरी दुनिया में काफी मज़बूती से उभरा है। इसके अलावा भारत की 60 फीसदी आबादी युवा है ऐसे में पूरे विश्व की नज़र मैन पावर के लिए भी भारत की तरफ ही होता है।
ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस सम्मेलन के बाद भारत में पूंजी लगाने वाली विदेशी कंपनियों की बहार आ जाएगी।
वहीं लुलु ग्रुप के चेयरमैन यूसूफ़ अली ने कहा, '20 साल के बाद पहली बार भारत के प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। 50 से अधिक देश के प्रतिनिधियों की मौज़ूदगी में बहुत सारे सीईओ भी उपस्थित रहेंगे। ये भारतीय बाज़ार के लिए बेहतरीन मौक़ा होगा।'
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सोमवार को दावोस रवाना हो गए। वह वहां प्रधानमंत्री मोदी के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। फडणवीस स्विट्जरलैंड में विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों और कोका कोला, अर्सेलर मित्तल व अन्य कंपनियों के शीर्ष कार्यकारियों से मुलाकात करेंगे।
मुख्यमंत्री के साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रवीण परदेशी, सिडको के प्रबंध निदेशक भूषण गगरानी और एमआईडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय सेठी भी दावोस गए हैं। इस सम्मेलन में करीब 100 देशों के लगभग 2500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
बता दें कि 1997 में एचडी देवेगौड़ा के बाद 20 साल बाद नरेंद्र मोदी भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में बैठक में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं। इस साल बैठक की थीम है ‘खंडित या टूटी-फूटी दुनिया में साझा भविष्य तैयार करना’।
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