श्रीलंका की तरह देश के ये राज्य भी हो सकते हैं कंगाल, सचिवों ने खुलकर जताई चिंता
राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में किए जाने वाले बड़े वादे, जिन्हें पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज लेना पड़ता है.
highlights
- पीएम ने बीते हफ्ते शनिवार को केंद्र सरकार के विभिन्न विभाग के सचिवों की लंबी बैठक ली थी
- राज्य सरकारों की लोकलुभावन योजनाओं को लंबे समय तक चलाना आसान नहीं है.
नई दिल्ली:
श्रीलंका आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. बताया जाता है कि इस हालात में आने की बड़ी वजह देश द्वारा बड़ा कर्ज लेना है. लोकलुभावन घोषणाओं को लेकर जरूरत से ज्यादा कर्ज उठाना कंगाली का कारण बन गया. ऐसी ही स्थिति देश के कुछ राज्यों की भी हो सकती है. अगर ये राज्य भारतीय संघ का हिस्सा न होते तो अब तक ये बर्बाद हो चुके होते. इसकी वजह है राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में किए जाने वाले बड़े वादे, जिन्हें पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज लेना पड़ता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश के कई शीर्ष नौकरशाहों ने पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी इस चिंता के बारे में बताया है. पीएम ने बीते हफ्ते शनिवार को केंद्र सरकार के विभिन्न विभाग के सचिवों की लंबी बैठक ली थी. इस बैठक में कुछ सचिवों ने खुलकर चिंता व्यक्त की है.
इनमें से कई सचिव कई राज्यों में अहम पदों पर तैनात रह चुके हैं. उनके अनुसार, कई राज्यों की वित्तीय सेहत काफी खस्ताहाल स्थिति है. राज्य सरकारों की लोकलुभावन योजनाओं को लंबे समय तक चलाना आसान नहीं है. अगर इस प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगी तो कई राज्य आर्थिक बदहाली के शिकार हो सकते हैं.
जानें किन राज्यों पर है ज्यादा कर्ज
जिन राज्यों पर कर्ज का बोझ सबसे ज्यादा है, उनमें पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. इन राज्यों की लोकलुभावन घोषणाओं के कारण इनकी वित्तीय सेहत खराब है. इसी तरह छत्तीसगढ़ और राजस्थान ने पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने की घोषणा की है. कई राज्य फ्री बिजली दे रहे हैं, जो सरकारी खजाने पर बोझ डाल रही है. भाजपा ने भी उत्तर प्रदेश और गोवा में मुफ्त रसोई गैस देने के साथ ही दूसरी कई लुभावनी घोषणाएं चुनाव में की थीं, जिसे पूरे करने का वादा किया गया है.
राज्यों पर कितना है कर्ज
विभिन्न राज्यों के बजट अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में सभी राज्यों का कर्ज का कुल बोझ 15 वर्षों के उच्च स्तर पर है. राज्यों का औसत कर्ज उनके जीडीपी के 31.3 फीसदी पर आ गया है. इस तरह सभी राज्यों का कुल राजस्व घाटा 17 वर्ष के उच्च स्तर 4.2 फीसदी आ चुका है. वित्त वर्ष 2021-22 में कर्ज और जीएसडीपी (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट) का अनुपात सबसे ज्यादा पंजाब का 53.3 फीसदी रहा है. इसका अर्थ यह है कि पंजाब का जितना जीडीपी है उसका करीब 53.3 फीसदी हिस्सा कर्ज है. इसी तरह राजस्थान का अनुपात 39.8 फीसदी, पश्चिम बंगाल का 38.8 फीसदी, केरल का 38.3 फीसदी और आंध्र प्रदेश का कर्ज-जीएसडीपी अनुपात 37.6 फीसदी तक है. इन सभी राज्यों को राजस्व घाटा का अनुदान केंद्र सरकार से प्राप्त होता है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी