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कर्नाटक के कॉफी उत्पादक बजट से निराश

कर्नाटक के कॉफी उत्पादक बजट से निराश

Updated on: 03 Feb 2023, 01:10 PM

बेंगलुरू:

कर्नाटक के कॉफी बागान मालिक बजट से नाखुश हैं, क्योंकि केंद्र सरकार ने विभिन्न रूपों में कॉफी की बिक्री पर कर से पूरी छूट की उनकी मांग को पूरा नहीं किया है।

गौरतलब है कि सरकार कॉफी पर 25 फीसदी टैक्स लगा रही है। कॉफी बागान मालिक मौजूदा 75 फीसदी छूट से पूरी छूट की मांग कर रहे हैं। कॉफी प्लांटर्स और एसोसिएशन का कहना है कि यह छोटे कॉफी प्लांटर्स को प्रभावित करेगा। उनकी मांग है कि उन्हें मध्यवर्ती उत्पादों को बेचने और लाभ कमाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

छोटे बागवानों का बिचौलियों द्वारा शोषण किया जाता है, जो उनसे मामूली कीमत पर कच्ची कॉफी खरीदते हैं। बदले में बिचौलिए बाद में भूनकर कॉफी बीन्स तैयार करते हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेचते हैं।

भारत में 99 प्रतिशत कॉफी उत्पादक छोटे प्लांटर्स हैं और 70 प्रतिशत कॉफी उगाते हैं। कर्नाटक कॉफी का शीर्ष उत्पादक है, जिसके बाद तमिलनाडु और केरल हैं।

विशेषज्ञों की राय है कि छोटे किसानों का यूनियन बनाने या किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के छत्रछाया में न आने से उन्हें नुकसान हो रहा है। कर्नाटक में 35 से 40 एफपीओ हैं।

कर्नाटक 2.8 लाख टन कॉफी का उत्पादन करता है, जो कुल का 72.5 प्रतिशत है। अधिकांश कॉफी बागान मालिकों के पास 25 हेक्टेयर से कम भूमि है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बागानों और उतार-चढ़ाव वाले बाजारों के साथ, कॉफी प्लांटर्स कॉफी के लिए अमेरिकी मूल्य निर्धारण पर भरोसा कर रहे हैं और अच्छी कीमत पाने पर लगातार असुरक्षा महसूस कर रहे हैं।

राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार होने से कॉफी बागान मालिकों को उम्मीद थी कि उन्हें कॉफी की फसल पर कर से पूरी छूट मिलेगी। कॉफी बागान प्रमुख रूप से राज्य के कोडागु, चिकमगलूर और हासन जिलों में स्थित हैं। कोडागु और चिक्कमगलुरु को भाजपा का मजबूत आधार माना जाता है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.