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GST 2017: फायदों का दावा लेकिन हो सकते हैं नुकसान, 1 जुलाई से लागू होगी नई कर व्यवस्था

कारोबारियों की कुछ दिक्कतें है जिसके चलते देश में अलग-अलग जगहों पर ट्रेडर्स विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। क्या होंगे इसके नुकसान? पढ़िए यहां

Updated on: 30 Jun 2017, 03:44 PM

नई दिल्ली:

जीएसटी की तैयारियों में सरकार जोर-शोर से लगी हुई है। इसके लिए आज आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल से जीएसटी को देश में लागू किया जाएगा। यह कार्यक्रम रात 11 बजे ही शुरु हो जाएगा। 

तमाम विपक्षी नेताओं के मान-मनौवल, रूठा-मटकी के बीच आखिरकार अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार GST लागू कर दिया जाएगा। जीएसटी के फायदों के बारे में सभी बात कर रहे हैं लेकिन इसके कुछ नुकसान भी है।

कारोबारियों की कुछ दिक्कतें है जिसके चलते देश में अलग-अलग जगहों पर ट्रेडर्स विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। क्या होंगे इसके नुकसान? पढ़िए यहां 

SME सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग पर कर की ऊंची दर

जीएसटी से सबसे ज़्यादा प्रभावित मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर होगा। मौजूदा एक्साइज़ कानून में, 1.50 करोड़ से ज़्यादा टर्नओवर वाले कारोबारी को एक्साइज़ ड्यूटी चुकानी होती थी। जीएसटी में यह सीमा घटाकर 20 लाख कर दी गई है जिससे छोटे कारोबार की मैन्युफैक्चरिंग पर दबाव पड़ा है। 

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ऑपरेटिंग कॉस्ट बढेगी

ज़्यादातर छोटे कारोबारी प्रोफेशनल्स की नियुक्ति नहीं करते और कर चुकाने और फाइल रिटर्न करने जैसे काम खुद ही करते हैं। जीएसटी के बाद, क्योंकि यह एक नया कर ढांचा है, उन्हें भी प्रोफेशनल सहायक की मदद लेनी पड़ेगी। इससे प्रोफेशनल्स को तो फायदा होगा लेकिन छोटे कारोबारियों की जेब पर बोझ पड़ेगा। 

इसके अलावा कारोबारियों को अपने कर्मचारियों को जीएसटी के अनुपालन से जुड़ी जानकारियों के लिए ट्रेनिंग देनी होगी जिसके लिए अच्छा ख़ासा खर्च करना होगा। 

बिज़नेस सॉफ्टवेयर में बदलाव

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ज़्यादातर कारोबारों के टैक्स रिटर्न के लिए ख़ास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं जिसमें वैट, एक्साइज़, और सेवा कर जैसी सुविधाएं पहले से ही शामिल होती है। जीएसटी के आने से उन्हें अपना सॉफ्टवेयर बदलना पड़ेगा। साथ ही उन्हें नए सॉफ्टवेयर खरीदने और सॉफ्टवेयर के बारे में कर्मचारियों को ट्रेंड करने के लिए अच्छा ख़ासा खर्च करना होगा। 


हालांकि राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने शुक्रवार को बताया कि सरकार फ्री में सॉफ्टवेयर प्रदान करेगी। लेकिन यह सॉफ्टवेयर कारोबारियों को कब मिलेगा और कब उनकी परेशानी ख़त्म होगी यह तो कुछ दिनों बाद ही पता चलेगा। 

जीएसटी का वित्तीय वर्ष के बीच में लागू होना 

जीएसटी को लागू करने की तारीख 1 जुलाई 2017 है। इससे अप्रैल-जून तक का कारोबार पुराने टैक्स प्रणाली से ही हुआ है, जबकि बाकी 9 महीने में जीएसटी प्रणाली में कारोबार होगा। इससे उन्हें दोनों कर प्रणाली के तह्त इस बार दोबार रिटर्न फाइल करना होगा। जिससे दुविधा की स्थिति उत्पन्न होगी। 

करों की ऊंची दरों से कीमतें बढ़ेगी

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फिलहाल कुछ सेक्टर जैसे टेक्सटाइल इंडस्ट्री कर दायरे से बाहर या कर दायरे कम दायरे में रखी गई है। जीएसटी में 4 कर दरें है- 5%,12%,18%, और 28%, इसके चलते कई क्षेत्रों में करों के बोझ के चलते सामानों की कीमतों में इजाफा होगा। 

पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स जीएसटी के दायरे से बाहर

फिलहाल पेट्रोलियम प्रोडक्ट जीएसटी के दायरे से बाहर रखे गए है। राज्य इस सेक्टर पर अभी भी अपने कर लगाएगें। इसका असर इस पर जुड़े उद्योगों जैसे प्लास्टिक सेक्टर के इनपुट टैक्स क्रेडिट पर भी पड़ेगा क्योंकि यह पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भर हैं। 

पेट्रोल और डीज़ल पर कई फैक्ट्रियां निर्भर करती हैं। ऐसे में जीएसटी के दायरे से बाहर रहने के चलते इस पर करों की दर फिक्स न होने के चलते सामान की कीमतों में तेज़ी आ सकती है। 

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में कहा था कि इस पर जीएसटी तभी लागू होगा जब सभी राज्य जीएसटी परिषद के माध्यम से हुई बैठक पर इस पर मंजूर होते है। हालांकि अभी तक इस पर कोई समयसीमा नहीं निर्धारित हुई है। 

कई राज्यों में पंजीकरण 

जीएसटी के तहत कारोबारियों को कई राज्यों में जहां वो काम करना चाहते हैं जीएसटी रजिस्ट्रेशन करना होगा। इससे जीएसटी कॉम्पलाइंस में दबाव पड़ेगा। 

ई-कॉमर्स कारोबार पर दबाव 

आजकल कई एसएमई ऑनलाइन ही अपने कारोबार को बढ़ाते है। जीएसटी के दायरे में आने के बाद कई राज्यों में पंजीकरण करना होगा। इतना ही नहीं, इसके बाद उन्हें भी किसी भी बड़े संगठन की तरह करों का भुगतान करना होगा। ई-कॉमर्स वाले कारोबारों के लिए जीएसटी के अंतर्गत टीसीएस कलेक्ट करने की ज़रुरत होगी। जिससे जीएसटी के अनुपालन में दिक्कतें होगी। 

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मंहगाई रोधी कदमों का अभाव 

जिन देशों में जीएसटी लागू हुआ वहां इसे लागू करने के बाद मंहगाई दर बढ़ी है। मंहगाई दर को रोकने के लिए उन्हें काफी कदमों को उठाने की ज़रुरत पड़ी। जीएसटी परिषद की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई लेकिन अभी तक भारत मंहगाई रोधी कदम नहीं उठा सका है जिससे जीएसटी के बाद बढ़ने वाली मंहगाई दर को काबू में किया जा सके। 

हालांकि इन सभी खामियों के बावजूद, जीएसटी एक बड़ा टैक्स रिफॉर्म है। इसके अलावा बड़े बदलावों के लागू होने के बाद कुछ न कुछ दिक्कतें तो आती ही हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि लंबे समय में इन कदमों का कैसा असर देश पर पड़ता है। 

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