विदेश में अघोषित संपत्ति होने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को चुनौती दी है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कार्ती ने कहा कि यदि उनकी या उनके परिवार की विदेश में कोई संपत्ति है तो केंद्र सरकार को उसका खुलासा करते हुए उसे जब्त करना चाहिए।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने कार्ती ने कहा, 'मेरे पिता, माता, पत्नी व मैं खुद आयकर भुगतान करता हूं। यदि सरकार या इसकी एजेंसियां कह दें कि हमारी ये संपत्तियां हैं, तो हम उनकी आज्ञा का पालन करेंगे और सरकार उन्हें अपने कब्जे में ले सकती है।'
मामले की सुनवाई कर रही खंडपीठ में न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ भी शामिल हैं।
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वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो लापरवाही भरा आरोप लगा रहा है और उनके मुवक्किल कार्ती चिदंबरम से केंद्रीय जांच एजेंसी से पूछताछ के दौरान कुछ भी उभर कर सामने नहीं आया, जो परिवार के स्वामित्व वाली अज्ञात विदेशी संपत्ति की तरफ इशारा करे।
सीबीआई की तरफ से अदालत के समक्ष पेश होते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीलबंद लिफाफे में कार्ति से जुड़ी संपत्तियों की जानकारी प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा कि इन के बारे में जानकारी एजेंसी द्वारा पूछताछ के दौरान सामने आई है।
सिब्बल ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि सीबीआई अदालत के समक्ष कथित तौर पर उनके मुवक्किल से जुड़े दस्तावेज बिना एक अगल प्राथमिकी के नहीं पेश कर सकती।
उन्होंने अदालत से कहा कि कार्ती चिदंबरम से पूछताछ के दौरान कुछ भी सामने नहीं आया, जैसा कि सीबीआई का दावा है।
सिब्बल ने कहा कि सीबीआई सिर्फ मामले से जुड़े वही दस्तावेज प्रस्तुत कर सकती है, जिसके संदर्भ में कार्ती चिदंबरम देश छोड़ के न जाए यह सुनिश्चित करने के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया है।
मेहता ने अदालत से कहा कि वह सिद्ध करेंगे कि सीलबंद लिफाफे में जमा किए गए सभी संपत्तियों का विवरण मामले में जांच से जुड़ा हुआ है। इसके बाद अदालत ने मामले को स्थगित कर दिया और कहा कि वह मामले पर 18 सितंबर को सुनवाई करेगी और अंतिम निर्णय लेगी।
अदालत मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कार्ती चिदंबरम व अन्य के खिलाफ लुकआउट नोटिस पर रोक लगा दी गई थी। उच्च न्यायालय के आदेश पर शीर्ष न्यायालय ने रोक लगा दिया था।
कार्ती चिदंबरम पर कथित तौर पर मुंबई स्थित आईएनएक्स मीडिया (अब 9एक्स मीडिया) से 3.5 करोड़ रुपये एफआईपीबी मंजूरी के लिए लेने का आरोप है। इसे पीटर व इंद्राणी मुखर्जी चलाते थे। पीटर व इंद्राणी शीना बोरा हत्या मामले में आरोपी हैं।
मामले की प्राथमिकी में पी चिदंबरम का नाम नहीं है, हालांकि यह कहा जाता है कि उन्होंने एफआईपीबी की 18 मई 2007 की बैठक में कंपनी में 4.62 करोड़ रुपये के विदेश प्रत्यक्ष निवेश के लिए एफआईपीबी मंजूरी दी थी।
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HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम ने दी सरकार और CBI को चुनौती
- कार्ती ने कहा कि अगर उनके पास विदेश में संपत्ति हैं, तो CBI को इसे निकाल कर दिखाना चाहिए
Source : IANS