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जियो ने पूरा किया रिलायंस इंफ्राटेल का अधिग्रहण, 3,720 करोड़ रुपये का किया भुगतान

रिलायंस जियो ने गुरुवार को कर्जदाताओं को 3,720 करोड़ रुपये का भुगतान कर रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) के टावर और फाइबर संपत्तियों का अधिग्रहण पूरा कर लिया.सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एस्क्रो अकाउंट में 3,720 करोड़ रुपए जमा किए हैं.नवंबर में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने रिलायंस इंफ्राटेल (आरआईटीएल) के अधिग्रहण के लिए जियो को अपनी मंजूरी दे दी थी.

रिलायंस जियो ने गुरुवार को कर्जदाताओं को 3,720 करोड़ रुपये का भुगतान कर रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) के टावर और फाइबर संपत्तियों का अधिग्रहण पूरा कर लिया.सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एस्क्रो अकाउंट में 3,720 करोड़ रुपए जमा किए हैं.नवंबर में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने रिलायंस इंफ्राटेल (आरआईटीएल) के अधिग्रहण के लिए जियो को अपनी मंजूरी दे दी थी.

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

रिलायंस जियो ने गुरुवार को कर्जदाताओं को 3,720 करोड़ रुपये का भुगतान कर रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) के टावर और फाइबर संपत्तियों का अधिग्रहण पूरा कर लिया.सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एस्क्रो अकाउंट में 3,720 करोड़ रुपए जमा किए हैं.नवंबर में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने रिलायंस इंफ्राटेल (आरआईटीएल) के अधिग्रहण के लिए जियो को अपनी मंजूरी दे दी थी.

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जो आरकॉम की सहायक कंपनी है, जिसमें टावर और फाइबर संपत्तियां हैं.

अधिकरण ने जियो को एसबीआई के एस्क्रो खाते में 3,720 करोड़ रुपये जमा करने की अनुमति दी थी.

6 नवंबर को, जियो ने एनसीएलटी मुंबई में एक याचिका दायर की जिसमें रिलायंस इंफ्राटेल के अधिग्रहण को पूरा करने के लिए एसबीआई के एक एस्क्रो अकाउंट में 3,720 करोड़ रुपये जमा करने का प्रस्ताव रखा गया था.

नवंबर 2019 में जियो ने आरकॉम के टावर और फाइबर एसेट के अधिग्रहण के लिए 3,720 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.

लेनदारों की समिति ने पहले ही 4 मार्च, 2020 को 100 प्रतिशत वोट के साथ जियो द्वारा समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी, लेकिन धन के वितरण को लेकर उधारदाताओं के बीच मतभेदों के कारण अधिग्रहण प्रक्रिया अंतिम रूप नहीं ले सकी.

जियो की सहायक कंपनी रिलायंस प्रोजेक्ट्स एंड प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सर्विसेज द्वारा दायर एक आवेदन के अनुसार, कंपनी ने कहा था कि राशि के वितरण और नो ड्यूस सर्टिफिकेट जारी करने की कार्यवाही लंबित होने के कारण, समाधान के रिजोल्यूशन प्लान में देरी हो रही है.

याचिका में कहा गया, इस तरह की देरी से कॉरपोरेट कर्जदार के साथ-साथ समाधान आवेदक के हितों को गंभीर नुकसान हो रहा है और इस तरह की देरी से संपत्ति का मूल्य खराब होगा.

आरआईटीएल के पास देश भर में लगभग 1.78 लाख रूट किलोमीटर और 43,540 मोबाइल टावरों की फाइबर संपत्ति है.

एनसीएलटी के आदेश के अनुसार, समाधान निधि के वितरण पर अंतर-लेनदार विवाद का निपटारा हो जाने के बाद, धन उधारदाताओं के बीच वितरित किया जाएगा.

दोहा बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और एमिरेट्स बैंक सहित एसबीआई और कुछ अन्य बैंक धन के वितरण को लेकर कानूनी लड़ाई में लगे हुए हैं.

मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है.

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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