केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली शुक्रवार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर सहित कई अन्य अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक के दौरान बैंकों की गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) पर चर्चा की जाएगी।
बैठक के दौरान बैंकों का कर्ज कम करने के उपायों पर भी चर्चा की जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में बैंकों के नुकसान सहने की क्षमता की स्थिति पर भी चर्चा होगी।
यह बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होगी। बैठक में ऊर्जित पटेल के अलावा सभी डिप्टी गवर्नर इसमें हिस्सा लेंगे। बैठक के दौरान संपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) की रूपरेखा पर भी चर्चा होने की संभावना है।
सूत्रों ने बताया कि शेयरहोल्डिंग ढांचे के संदर्भ में दो प्रस्तावों पर विचार जारी है। पहले प्रस्ताव के मुताबिक इस कंपनी में 49 फीसदी केंद्र सरकार की हिस्सेदारी होगी जबकि बाकी हिस्सेदारी निजी फंडों और निवेशकों की होगी।
यह ढांचा नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) की तरह है। दूसरे प्रस्ताव में एनआईआईएफ का दायरा बढ़ाकर एनपीए को उसमें शामिल किया जा सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों प्रस्तावों के बारे में एक प्रजेंटेशन तैयार किया जा रहा है जिसे वित्त मंत्री और गवर्नर के सामने रखा जाएगा। अगर वे इस पर कोई फैसला लेते है तो फिर इसे प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा।
दिसंबर 2016 तक बैंकों का कुल एनपीए 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा था। फंसे कर्ज से बैंको को बचाने के लिए डिप्टी गवर्नर ने एएमसी के गठन का प्रस्ताव रखा था। इनमें से एक निजी होगी और दूसरी अर्धसरकारी।
निजी कंपनी ऐसे मामलों से निपटेगी जिन्हें जल्दी से जल्दी सुलझाया जा सकता है। इसी तरह अर्ध सरकारी कंपनी ऐसे मामलों को देखेगी जहां लंबा समय लगने की संभावना है। आरबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आचार्य के सुझाव जेटली को सही लगे और उन्होंने इस पर गंभीर चर्चा करने को कहा।
Source : News Nation Bureau