Israel-Hamas War: यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के दुष्प्रभावों से दुनिया अभी निकल नहीं पाई थी कि विश्व के सामने एक और बड़ा संकट आकर खड़ा हो गया है. इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शुरू हुई जंग ने भारत समेत पूरी दुनिया के सभी देशों की टेंशन बढ़ा दी है. माना जा रहा है कि अगर दोनों मुल्कों के बीच युद्ध लंबा चलता है तो भारत समेत सभी देशों पर इसका असर पड़ेगा. दरअसल, इस युद्ध से भारत के आर्थिक हितों को झटका लग सकता है. क्योंकि भारत और इजराइल के बीच व्यापारिक संबंध काफी मजबूत हैं, इसलिए लड़ाई खिंचने की स्थिति में भारत को अरबों रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ना तय
विदेशी मामलों के जानकारों के अनुसार इजराइल और फिलिस्तीन का युद्ध लंबा खिंचने की स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ना तय है. इससे भारत का इंपोर्ट-एक्सपोर्ट प्रभावित होगा, जिसकी वजह से देश में अचानक महंगाई बढ़ सकती है. इस लड़ाई का सबसे ज्यादा असर पेट्रोल और डीजल के भाव पर पड़ेगा. इसके साथ ही भारत और इजराइल के बीच 10 बिलियन डॉलर का कारोबार है. जिसमें निर्यात 8.5 बिलियन डॉलर और आयात 2.3 बिलियन डॉलर है. आयात-निर्यात के गणित से साफ होता है कि व्यापार प्रभावित होने से ज्यादा नुकसान भारत का होगा.
भारत के कारोबारियों ने इजराइल में बड़ा इंवेस्टमेंट कर रखा
इसके साथ ही भारत के कारोबारियों ने इजराइल में बड़ा इंवेस्टमेंट कर रखा है. भारतीय कारोबारी गौतम अडानी ने इजराइल में बड़ा निवेश किया हुआ है. भारत यूं भी इजराइल से हथियार लेने वाला बड़ा खरीदार है. आपको बता दें कि हमास ( इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ) फलस्तीनी क्षेत्र का सबसे बड़ा चरमपंथी संगठन है. हमास की स्थापना 1987 में पहले फिलिस्तानी विद्रोह के दौरान हुई थी. ईरान हमास का सर्मथन करता है. इसका उभार मुस्लिम ब्रदरहुड की फिलिस्तानी शाखा के विस्तार के तौर पर हुआ. हमास एक सशस्त्र बल है और इजराइल का सशस्त्र विरोध करता है. यह चरमपंथी संगठन इजराइल की जगह फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है.
Source : News Nation Bureau